Cash for Query Case: कैश फॉर क्वेरी मामले में घिरी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इस मामले की जांच कर रही एथिक्स कमेटी ने महुआ की संसद सदस्यता निष्कासित करने की मांग की है. साथ ही कमेटी ने भारत सरकार से मामले की विधि सम्मत और समयबद्ध जांच की भी सिफारिश की है. महुआ बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसों के नकद लेनदेन के आरोपों से घिरीं हैं. सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने 500 पन्नों की रिपोर्ट जारी की है. जिसमें महुआ के कार्यों को आपराधिक बताया गया है.
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कमेटी में शामिल विपक्षी पार्टियों के सदस्यों की भी निंदा
बता दें कि एथिक्स कमेटी में बीजेपी संसद सदस्यों के अलावा विपक्षी पार्टियों के भी सदस्य शामिल हैं. 2 नवंबर को एथिक्स कमेटी की सुनवाई के दौरान महुआ मोइत्रा ने कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर पर भड़काऊ और अनएथिकल प्रश्न पूछने का आरोप लगाया था. इसे लेकर कमेटी ने महुआ का साथ देने वाले सांसद दानिश अली के व्यवहार की भी निंदा की है. उन पर जनता की भावनाएं भड़काने का आरोप है.
क्या है पूरा मामला
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखकर महुआ पर पैसे लेने के ऐवज में संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. उन्होंने पत्र में इसे लेकर महुआ के खिलाफ जांच की मांग की थी. बाद में इस मामले की जांच के लिए स्पीकर ने एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया था. एथिक्स कमेटी इस मामले में 2 नवंबर को आरोपी महुआ को तलब भी कर चुकी है.
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