Maratha Reservation: महाराष्ट्र विधानसभा ने आज मराठा आरक्षण को लेकर पेश किए गए बिल पर अपनी मुहर लगा दी है. मराठा आरक्षण के लिए पेश किया गया बिल विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया. विधानसभा से पास हुए इस बिल में महाराष्ट्र में मराठाओं को 10 फीसदी के आरक्षण की बात की गई है. विधानसभा से पारित हो जाने के बाद यह बिल विधान परिषद में रखा जाएगा. इस बिल के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अगर राज्यपाल इसपर अपनी मुहर लगा देता है, तो प्रदेश में मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी के आरक्षण का लाभ मिलेगा.
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वैसे आपको बता दें कि, मराठा आरक्षण के लिए आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे पाटील ने लंबे समय से आंदोलन छेड़ा हुआ था. वो कई बार भूख हड़ताल भी कर चुके है फिर पिछले दिनों सीएम एकनाथ शिंदे ने आरक्षण की मांग को मानते हुए उनके भूख हड़ताल को समाप्त कराया था. उसी क्रम में आज विधानसभा ने इससे संबंधित बिल पेश किया.
मराठा को पहले के आरक्षण प्रावधानों से इतर नए सिरे से 10 फीसदी का आरक्षण दिया गया है. इसके लागू हो जाने के बाद प्रदेश में आरक्षण कि सीमा 60 फीसदी हो जाएगी. यानी मराठा को मिलने वाला यह आरक्षण इंदिरा साहनी वाद में डिसाइड किए गए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी को क्रॉस करेगा. इससे संवैधानिक स्तर पर इस आरक्षण की स्थिति थोड़ी कमजोर नजर आती है. क्योंकि इससे पहले भी तमिलनाडु और खुद महाराष्ट्र में भी ऐसा प्रावधान किया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था.
कानूनी तौर पर नहीं टिकेगा यह आरक्षण: विजय वडेट्टीवार
मराठा आरक्षण के लागू होने के बाद यह आरक्षण के 50 फीसदी नियम को क्रॉस कर जाएगा. तब इस कानून की संवैधानिकता पर संकट की आशंका जताते हुए महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘हमें पता था कि हमारी आवाज दबाई जाएगी इसलिए हमने उन्हें पहले ही एक पत्र दिया था. लेकिन उन्होंने हमारे पत्र का जवाब नहीं दिया और यह जो 10 फीसदी के आरक्षण का प्रावधान किया गया है वह कानूनी तौर पर टिकने वाला नहीं है. उन्होंने कहा आगामी लोकसभा चुनाव में वोटों की सियासत के लिए यह बिल लाया गया है. यह बिल किसी भी तरह से किसी को मान्य नहीं होने वाला.’
क्या-क्या प्रावधान है इस बिल में
मराठा आरक्षण बिल में राज्य सरकार का प्रस्ताव-
– मराठा आरक्षण के लिए प्रदेश में बनाए गए आयोग की रिपोर्ट और निष्कर्ष पर राज्य सरकार ने सावधानीपूर्वक विचार किया है और इस प्रावधान को स्वीकार किया है.
– मराठा समाज सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है. संविधान के अनुच्छेद 342(C) एवं अनुच्छेद 15(4), 15(5) अनुच्छेद 16(6) के अनुसार उस वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए.
– मराठा समुदाय को 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा तक आरक्षण देने वाली असाधारण स्थिति के तहत आरक्षण का प्रावधान होगा जिसका अस्तित्व होगा.
– मराठा समुदाय को सार्वजनिक सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की बात है.
– सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए, सार्वजनिक सेवाओं में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान कानून द्वारा अपेक्षित है.
– संविधान के अनुच्छेद 342(C) के खंड (3) राज्य को राज्य के उद्देश्यों के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करने और उसे बनाए रखने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है.
– महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि, मराठा आरक्षण के इस उद्देश्य के लिए एक नया अधिनियम बनाना वांछनीय है.
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