Chandrababu Naidu on Waqf Board Bill: 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार एक बार फिर से सत्ता में आई, लेकिन इस बार नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टियों के समर्थन पर निर्भर है. विपक्ष को उम्मीद है कि किसी दिन इनमें से कोई समर्थन खींच लेगा. ऐसे में सरकार बिहार और आंध्र प्रदेश को खुश रखने की पूरी कोशिश कर रही है. बजट में दोनों राज्यों के लिए कई योजनाएं लाई गईं, और हाल ही में नए प्रोजेक्ट्स के लिए अतिरिक्त पैकेज भी दिया गया है. इससे सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उनके साथ कोई असंतोष न हो.
ADVERTISEMENT
वक्फ बोर्ड बिल और टीडीपी का विरोध
सरकार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के लिए कदम बढ़ा रही है, जो अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्ति से जुड़ा है. अगस्त में इस बिल को संसद में पेश किया गया था, जिस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने कड़ा विरोध जताया. टीडीपी ने सरकार को चेताया कि इसे बदलने का प्रयास सही दिशा में नहीं है. टीडीपी के उपाध्यक्ष अमीर बाबू ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का समर्थन नहीं करेगी, क्योंकि यह मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है. टीडीपी की आपत्तियों के बाद सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया जहां इस पर डिबेट चल रही है.
वक्फ बोर्ड कानून को लेकर मुस्लिम संगठनों का विरोध
इस संशोधन के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने भी मोर्चा खोला है.ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा ए हिंद जैसे संगठनों ने इस बिल का विरोध किया है. इन संगठनों ने जेपीसी को ईमेल भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया, जिसमें दावा किया गया कि लाखों मुसलमान इस बिल का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा, दिल्ली और विजयवाड़ा में बड़ी रैलियां आयोजित की जा रही हैं. जमीयत उलेमा ए हिंद ने घोषणा की है कि दिसंबर में 5 लाख मुसलमानों की रैली होगी, जिसमें टीडीपी और नीतीश कुमार के भी शामिल होने की संभावना है.
क्या समर्थन बना रहेगा?
वक्फ बोर्ड का यह मुद्दा सिर्फ संपत्ति से नहीं, बल्कि वोटों से भी जुड़ा है. टीडीपी और जेडीयू जैसे दलों के लिए मुस्लिम समुदाय का समर्थन अहम है, जो उनकी राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अब देखना यह होगा कि क्या मोदी सरकार इस कानून को लेकर अपनी राह पर कायम रहती है, या टीडीपी और जेडीयू के साथ बने रहने के लिए समझौता करती है.
ADVERTISEMENT