चुनाव में जीत के बाद पहली बार लोकसभा पहुंचे सांसद, सदन में कौन-कहा बैठेगा? कैसे डिसाइड होता है ये? सब जानिए 

News Tak Desk

24 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 24 2024 2:04 PM)

Lok Sabha Session 2024: सदन में सीटों का बंटवारा सबसे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के आधार पर होता है. स्पीकर के पास वाले आगे के ब्लॉक्स में दाहिने की तरफ सत्ता पक्ष और बाईं तरफ विपक्ष की सीट होती है.

NewsTak
follow google news

Lok Sabha Session 2024: लोकसभा चुनाव के बाद आज संसद का विशेष सत्र भी शुरू हो गया है. चुनाव में विजयी हुए सभी सांसद आज 18वीं लोकसभा के शुरुआत के पहले दिन संसद पहुंचे है जहां वें अपने पद की शपथ ग्रहण करेंगे. शपथ के बाद वें सदन के आधिकारिक सदस्य हो जाएंगे. वैसे आपने देखा होगा कि, जब सदन की कार्यवाही चलती है तब सांसद एक निश्चित स्थान पर बैठे रहते हैं. क्या आप जानते हैं उनकी ये सीट कौन डिसाइड करता है और ये सीट किस आधार पर तय की जाती है? या फिर सांसद अपने हिसाब से कोई भी सीट ले लेते हैं? आइए हम आपको देते हैं इन सभी सवालों का जवाब. 

कौन करता है सांसदों की सीटें डिसाइड?

सदन में सांसदों की सीटों को सदन के स्पीकर डिसाइड करता है. डायरेक्शन 122(a) के तहत स्पीकर हर सांसद को सीट अलॉट करते हैं और उसके हिसाब से ही सांसद को अपनी तय सीट पर बैठना होता है. आपको बता दें कि, सदन की शुरुआत होने पर पहले प्रोटेम स्पीकर सभी सांसदों को शपथ दिलाएंगे. उसके बाद स्पीकर पद के लिए चुनाव होगा. फिर सदन का स्पीकर सांसदों की सीटों का अलॉटमेंट करेगा. 

सदन में कौन-कहां बैठता है?

संसद में किसी भी सांसद के बैठने की सीट उसकी पार्टी के सदस्य संख्या के आधार पर तय होती है. जिस पार्टी के जितने सांसद होते हैं, उसी हिसाब से सांसदों को सीट दी जाती है. संसद में बैठने के लिए कई ब्लॉक्स होते है और पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर उनके ब्लॉक्स तय होते है. ऐसी ही अगर किसी पार्टी के 5 से ज्यादा सांसद हैं तो उनके लिए अलग और जिन पार्टियों के 5 से कम सांसद होते है, उनकी अलग व्यवस्था होती है. इसके बाद निर्दलीय सांसदों को जगह दी जाती है. 

सदन में सीटों का बंटवारा सबसे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के आधार पर होता है. स्पीकर के पास वाले आगे के ब्लॉक्स में दाहिने की तरफ सत्ता पक्ष और बाईं तरफ विपक्ष की सीट होती है. इसके अलावा लेफ्ट साइड में एक सीट डेप्यूटी स्पीकर के लिए तय होती है और उसके पास विपक्ष के फ्लोर लीडर बैठते हैं. इसके बाद बाईं तरफ सांसदों की संख्या के आधार पर ब्लॉक्स डिवाइड किए जाते हैं. जैसे इस बार सबसे आगे दाईं तरफ बीजेपी और बाईं साइड में कांग्रेस के सांसद बैठेंगे. जिस पार्टी के ज्यादा सांसद होते हैं, उन्हें उतनी ही फ्रंट रो मिलती है. ऊपर के ब्लॉक्स में कम सांसद वाली पार्टियों को जगह मिलती है.

सीनियर सांसदों के लिए अलग है प्रावधान 

सदन में कुछ सीनियर सांसदों की तबीयत और वृद्धावस्था को देखते हुए सीटों की व्यवस्था में बदलाव किया जाता है. जैसे जब मुलायम सिंह यादव सांसद थे तो उनकी पार्टी के कम सांसद थे. इस स्थिति में उन्हें पीछे की सीट दी जानी चाहिए थी, लेकिन उनकी तबीयत को देखते हुए उन्हें आगे की सीट दी गई थी. ऐसा ही एचडी देवेगौड़ा के साथ भी हुआ था. 

    follow google newsfollow whatsapp