One Nation One Election: मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद भारत में एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ हो सकता है. इस फैसले पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.
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कोविंद समिति की रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2024 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसमें 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की संभावनाओं पर विचार किया गया था. समिति ने सुझाव दिया था कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए. इस प्रक्रिया से देशभर में एक तय समयावधि में सभी चुनाव कराए जा सकेंगे, जिससे बार-बार चुनाव कराने की जरूरत समाप्त हो जाएगी.
पीएम मोदी की लंबे समय से वकालत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के पक्ष में बोल रहे हैं. उन्होंने कहा था, "चुनाव पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान लगातार नहीं होने चाहिए. चुनावों को सीमित समय में संपन्न किया जाना चाहिए ताकि विकास कार्यों पर ध्यान दिया जा सके." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इससे चुनाव प्रबंधन में आने वाले खर्चों में भी कमी आएगी.
राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रिया
कोविंद समिति ने इस मुद्दे पर 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था, जिनमें से 32 पार्टियों ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का समर्थन किया. इनमें जेडीयू और एलजेपी (आर) प्रमुख रूप से शामिल थीं. इन दलों ने तर्क दिया कि इससे समय और पैसों की बचत होगी. वहीं, 15 पार्टियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जिनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम और बसपा शामिल थीं.
कुछ प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने इस मुद्दे पर अभी तक अपनी राय स्पष्ट नहीं की है. टीडीपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसी पार्टियों ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
रिपोर्ट-हिमांशु मिश्रा
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