पूर्वोत्तर भारत के राज्य मिजोरम में भी चुनावों का ऐलान हो चुका है. वर्तमान में प्रदेश में मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) के जोरामथांगा के नेतृत्व की सरकार है. 2018 के चुनावों से पहले कांग्रेस प्रदेश में 2008 से लेकर 2018 तक सरकार में थी. पार्टी प्रदेश में इससे पहले भी सरकार में रही है. यह पहली बार है, जब पूर्वोत्तर के राज्यों में से किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं है. क्या है मिजोरम का सियासी गणित आइए समझते है.
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2018 के चुनाव में तीसरे नंबर पर आ गयी कांग्रेस
पिछले 10 सालों से कांग्रेस की सरकार के खिलाफ जनता में रोष था. जिसका नतीजा चुनावी परिणामों में देखने को मिला. प्रदेश की 40 सीटों में से MNF ने 26 पर जीत दर्ज कर सरकार बनायी.
2017 लालदुहावमा के नेतृत्व में बनी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट(ZPM) ने इस चुनाव में जबरदस्त शुरुआत करते हुए 8 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं कांग्रेस 5 सीटों पर जीत कर तीसरे नंबर पर खिसक गयी. बीजेपी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की. “यह पहला मौका था जब बीजेपी मिजोरम में किसी सीट पर विजयी हुई”.
क्या कहते है Opinion Poll
ABP C Voter के ओपेनियन पोल में MNF को 13-17, INC को 10-14, ZPM को 9-13 और अन्य को 1-3 सीटें मिलने अनुमान है. प्रदेश में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए मिनिमम 21 सीटों की जरूरत होती है. ओपेनियन पोल में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत मिलती नहीं दिख रही है.
मणिपुर हिंसा का फायदा कांग्रेस को?
Opinion Poll में ये भी बताया जा रहा है कि, मिजोरम की जनता CM जोरामथांगा से नाराज है, जिसकी वजह पिछले पांच सालों में प्रदेश सरकार की असफलता है. वहीं मणिपुर की हिंसा से पूरा पूर्वोत्तर सहम हुआ है, जिसकी शांति को लेकर विपक्ष पार्टी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी मुखर रहे है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, आगामी चुनावों में इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
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