MP’s Suspension: इस समय संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. 22 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में 14 दिसंबर से अबतक लोकसभा और राज्यसभा के 143 सांसद सस्पेंड हो चुके हैं. सस्पेंड हुए सांसद रोज कभी नई संसद के एंट्री गेट पर तो कभी गांधीजी की मूर्ति के आगे बैठकर धरना देते हैं और सस्पेंशन वापस लेने की मांग करते हैं. इसी बीच सस्पेंड हुए सांसदों के लिए लोकसभा सचिवालय ने नियमों को और सख्त करते हुए कई बंदिशें लगा दी है. आइए बताते हैं क्या है नए सर्कुलर में.
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सांसदों के रोज हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए लोकसभा सचिवालय ने गुरुवार को सर्कुलर निकाला. सर्कुलर में ये है कि सस्पेंड किए गए 143 सांसद पार्लियामेंट चैंबर, लॉबी और गैलरी में दाखिल नहीं हो सकते. सांसदों के नाम से कोई बिजनेस भी लिस्ट नहीं होगा. सांसदों के संसद आकर हाजिरी लगाने पर जो डेली अलाउंस मिलता है वो भी अब नहीं मिलेगा. सस्पेंड सांसदों के लिए ‘नो वर्क, नो पे’ का सिद्धांत लागू होगा. वहीं जो सांसद संसदीय कमेटियों के सदस्य हैं वे कमेटियों की बैठकों में भी हिस्सा नहीं ले सकते और वोटिंग से भी दूर रहेंगे.
संसद आने और प्रदर्शन करने पर कोई रोक नहीं पर नहीं जा सकते सदन में!
सर्कुलर में जो नहीं लिखा है वो ये है कि सस्पेंड हो चुके सांसद संसद परिसर में आ सकते हैं. धरना प्रदर्शन कर सकते हैं. बस वहां नहीं जा सकते जिसके लिए उन्होंने चुनाव जीता है. आपको बता दें कि कुछ सांसदों का सस्पेंशन शीतकालीन सत्र तक है लेकिन कुछ का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है. इसका मतलब ये है कि समिति सांसदों के आचरण की जांच करेगी. फिर बताएगी कि इनका क्या किया जाए.
संसद की सुरक्षा में हुई चूक ने बिगाड़ा मूड
संसद का शीतकालीन सत्र छोटा है. लग रहा था कि शांति से निकल जाएगा. सरकार को कुछ बिल पास कराने थे और विपक्ष के पास भी कोई बड़ा मुद्दा नहीं था लेकिन 13 दिसंबर को संसद में हुए घुसपैठ कांड से सब बदल गया. संसद की सिक्योरिटी के मुद्दे को ही विपक्ष ने सरकार पर चढ़ाई के लिए हथियार बना लिया. मांग उठी कि संसद की सिक्योरिटी पर गृह मंत्री अमित शाह बयान दें लेकिन सरकार नहीं मानी. वहीं स्पीकर ने कहा कि संसद की सिक्योरिटी हमारी जिम्मेदारी है, सरकार की नहीं. विपक्ष कहां मानने वाला था. रोज-रोज हंगामा होता रहा तब जाकर सांसदों के सस्पेंड वाला दौर चला.
इससे पहले भी हो चुका है बड़ी संख्या में सांसदों का निलंबन
इतनी बड़ी संख्या में संसद सदस्यों के सस्पेंड होने का मामला पहली बार नहीं हुआ है. पहली बार ये हुआ कि इसबार कई रिकॉर्ड बने और टूटे. एक दिन में 78 सांसदों का सस्पेंड करने का नया रिकॉर्ड बना. इससे पहले 63 सांसदों वाला रिकॉर्ड था जो 1989 में राजीव गांधी की सरकार के समय हुआ था. दरअसल इंदिरा गांधी की हत्या की जांच करने वाले ‘ठक्कर कमीशन’ को लेकर संसद में हंगामा हुआ था तब एक साथ एक दिन में 63 सांसदों को सस्पेंड किया गया था. 2014 के बाद और 2014 से पहले भी सरकारों ने अपने सुख-चैन के लिए सांसदों को सस्पेंड करने जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया.
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