PM Modi news: केंद्र की मोदी सरकार और विपक्ष के बीच इस वक्त ‘सेल्फी बूथ’ को लेकर भिड़ंत देखने को मिल रही है. हालिया मामला भारतीय रेलवे के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें स्टेशनों पर पीएम मोदी की तस्वीर वाले 3D सेल्फी बूथ लगाए जा रहे हैं. विपक्ष इसे ‘आत्ममुग्ध प्रचार’ के लिए किया जा रहा बेजा खर्च बता रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो बकायदा एक एक्स (पहले ट्विटर) पोस्ट में सूचना का अधिकार (RTI) से मिले जवाब को शेयर किया है, जिसमें इस सेल्फी बूथ पर आने वाले खर्च की जानकारी दी गई है. उन्होंने इसे टैक्स अदा करने वाले लोगों के पैसे की बर्बादी बताया है.
ADVERTISEMENT
मोदी सरकार का सेल्फी प्रेम वैसे भी जगजाहिर है. मतदान के दिन सेल्फी, स्वतंत्रता दिवस पर हर घर तिरंगा अभियान पर सेल्फी, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत सेल्फीविदडॉटर हो या दुबई में COP28 समिट में इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी के साथ पीएम मोदी की सेल्फी डिप्लोमेसी, सभी जगह सेल्फियों की धूम है. अब जब रेलवे स्टेशन पर भी सेल्फी बूथ बनने लगे, तो विपक्ष ने इसे लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘मोदी सरकार के आत्ममुग्ध प्रचार की कोई सीमा नहीं है! रेलवे स्टेशनों पर मोदी जी के 3डी सेल्फी पॉइंट बनाकर करदाताओं के पैसे की बर्बादी हो रही है. इससे पहले सशस्त्र बलों को मोदी जी के कट-आउट के 822 ऐसे सेल्फी-प्वाइंट बनाने का आदेश देकर हमारे बहादुर सैनिकों के खून और बलिदान का राजनीतिक उपयोग किया गया था. मोदी सरकार ने राज्यों को सूखा और बाढ़ राहत का मुआवजा नहीं दिया है वहीं विपक्ष शासित राज्यों की मनरेगा निधि भी लंबित है. सिर भी इस सरकार में इन चुनावी स्टंटों पर जमकर पब्लिक के पैसे खर्च करने का दुस्साहस है!’
PM मोदी की तस्वीर वाले 3D सेल्फी पॉइंट बनाने में कितना खर्च?
खड़गे ने RTI के तहत मिले जिस जवाब को साझा किया है, जिसमें सेल्फी बूथ पर आने वाले खर्च की जानकारी है. इस जवाब में मध्य रेलवे के तहत उन स्टेशनों को सूचीबद्ध किया गया है जहां अस्थायी और स्थायी सेल्फी बूथ स्थापित किए गए हैं. उस RTI के जवाब के तहत टाइप ‘ए’ के स्टेशनों के लिए अस्थायी ‘सेल्फी पॉइंट’ की स्वीकृत लागत 1.25 लाख रुपये है, जबकि टाइप ‘सी’ स्टेशनों के लिए स्थायी ‘सेल्फी पॉइंट’ की स्थापना लागत 6.25 लाख रुपये है.
UGC के सेल्फी पॉइंट बनाने के लिए जारी आदेश पर भी छिड़ा था विवाद
पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने संसद में शिक्षण सस्थाओं में ‘सेल्फी पॉइंट’ बनाने को लेकर सवाल किया था. असल में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए देशभर के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वे अपने-अपने परिसर के मुख्य स्थानों पर सेल्फी पॉइंट तैयार करें. दिलचस्प बात ये कही गई कि उस सेल्फी-पॉइंट के बैक ग्राउंड में पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर इस्तेमाल हो सकती हैय तृणमूल कांग्रेस सांसद शांतनु सेन ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवाल पूछते हुए इसी मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया था कि UGC के किस नियम के तहत ऐसा किया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया था कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक प्रचार है.
इसके जवाब में तब शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा था, ‘मुझे अपने प्रधानमंत्री पर गर्व है. देश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गर्व है.’ इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि, ‘राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति देश के होते हैं, वे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिस प्रकार मुख्यमंत्री राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी अपील है कि जब बात संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों की हो, चाहे वे राज्यस्तर पर हों या केंद्र स्तर पर, हमारा नजरिया राजनीतिक नहीं बल्कि सामान्य होना चाहिए’.
पर विपक्ष सरकार या सभापति की बात से सहमत नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के अलावा शशि थरूर, शिवसेना (उद्धव) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी जैसे नेताओं ने भी मोदी सरकार को इसपर घेरा है. शशि थरूर ने तो पीएम मोदी की तस्वीर वाले सेल्फी पॉइंट की इस कवायद को ‘प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल का बेशर्म आत्म-प्रचार’ तक कह डाला है.
ADVERTISEMENT