Prashant Kishor Party Launch: दूसरों को चुनाव लड़ाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद चुनावी मैदान में आने की तैयारी में हैं. 2 साल से पूरे बिहार में जनसुराज यात्रा निकालने के बाद 2 अक्टूबर यानी आज अपनी पार्टी लॉन्च करने जा रहे है. बिहार में 2025 यानी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है इससे पहले पार्टी बनाकर प्रशांत किशोर पूरे फुल फॉर्म में लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं. जनसुराज की लॉन्चिंग से पहले इसके संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, '2 अक्टूबर को बिहार में 1 करोड़ से अधिक लोग मिलकर इस पार्टी की औपचारिक घोषणा करेंगे. पार्टी का नाम, संविधान, इसके प्रावधान और इसके नेतृत्व की घोषणा की जाएगी पार्टी. उन्होंने कहा कि, 'हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी बनाना, अध्यक्ष चुनना या चुनाव जीतना नहीं बल्कि समाज को जगाना है.'
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जनसुराज की लॉन्चिंग के साथ प्रशांत किशोर बिहार में NDA-INDIA से अलग एक नया मोर्चा बनाने जा रहे हैं. उनका कहना है कि, पिछले 25-30 सालों में लोगों ने लालू प्रसाद के डर से बीजेपी को वोट दिया और कोई विकल्प नहीं होने के कारण बीजेपी के डर से लालू प्रसाद को वोट दिया, इसके लिए बिहार की जनता को एक मत करना जरूरी है. आइए आपको बताते हैं आखिर पार्टी लॉन्च के पीछे क्या है PK का मास्टर प्लान?
इन मुद्दों के दम पर बिहार में पीके करने वाले हैं बड़ा खेल
जनसुराज यात्रा के दौरान पीके जिले-जिले, गांव-गांव जाकर बूढ़े, महिलाएं और युवाओं से मिले. पीके का फोकस बिहार की अव्यवस्था, गरीबी, बेरोजगारी, पलायन और पिछड़ेपन को दूर करना हैं. उन्होंने अपने हर संबोधन में इन्हीं बातों का जिक्र किया. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि, पीके समस्याएं बताने के साथ-साथ उनका समाधान निकालने की बात भी करते हैं. वो यह कहते आ रहे हैं कि 'हम बस समस्याएं ही नहीं, समाधान भी बताएंगे'. पीके की पार्टी जनसुराज के एजेंडे को इन पॉइंट्स में समझा जा सकता है.
1- पलायन, गरीबी से मुक्ति और रोजगार गारंटी का वादा
प्रशांत किशोर पलायन और गरीबी को मुद्दा बनाते रहे हैं. पीके पलायन रोकने के लिए रोजगार गारंटी की बात करते रहे हैं. उन्होंने पटना में जनसुराज के एक आयोजन में कहा था कि 10 से 12 हजार तक की नौकरी के लिए किसी को बिहार से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी. हम इतने तक के रोजगार के अवसर युवाओं को यहीं उपलब्ध कराएंगे. पीके गरीबों के लिए सामाजिक पेंशन के पैसे बढ़ाने की भी बात करते रहे हैं.
2- गांवों पर होगा फोकस
बिहार की सर्वाधिक आबादी गांवों में रहती है. विकास की दौड़ में गांव काफी पीछे रह गए. यही वजह है कि, पीके ने अपना फोकस गांवों के विकास पर शिफ्ट कर दिया है. पीके का ध्यान पंचायतों पर है. पीके सूबे की सभी 8500 पंचायतों तक पदयात्रा के जरिये पहुंचने, पंचायतों के विकास के लिए प्लान की बात करते रहे हैं.
3- अर्थशास्त्री बना रहे बिहार के विकास का ब्लूप्रिंट
पीके ने बिहार के विकास के लिए जनसुराज का रोडमैप फरवरी तक लाने की बात कही हैं. पीके ने कहा कि, 10 अर्थशास्त्री इस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार के आलू और बालू वाले बयान को लेकर तंज करते हुए कहा है कि गन्ने के खेत तो बिहार में ही हैं, फिर चीनी मील क्यों बंद हैं. यह इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पीके की पार्टी के एजेंडे में विकास के लिए बंद पड़े उद्योगों का रिवाइवल भी है.
4- शराबबंदी खत्म कर ऐसे करेंगे शिक्षा का विकास
बिहार में साल 2015 से शराबबंदी लागू है. वैसे ये शराबबंदी का क्या हाल है पूरा बिहार इससे अवगत है. बिहार में शराब की होम डिलीवरी हो रही है. पीके ने सत्ता में आने के बाद 15 मिनट के भीतर शराबबंदी खत्म करने की बात कही है. पीके ने कहा है कि शराब से होने वाली राजस्व आय को शिक्षा पर खर्च किया जाएगा.
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