Rahul Gandhi: देश में लोकसभा चुनाव का माहौल बनते ही पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान कई महीने का राशन-पानी लेकर अपने-अपने गांवों से दिल्ली के लिए चल पड़े. दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए सरकार ने बॉर्डरों पर जबर्दस्त बंदोबस्त कर रखा है. किसानों की पोटली में राशन-पानी के साथ मांगों की लंबी लिस्ट है, जिसमें सबसे बड़ी मांग है, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की गारंटी देना.
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दिल्ली से सटे बॉर्डरों पर पुलिस और किसानों का गदर चल रहा है, उधर राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ लेकर छत्तीसगढ़ में हैं. वैसे तो कांग्रेस पार्टी ने आज सुबह ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी सरकार से लड़ रहे किसानों का समर्थन किया, लेकिन असली मास्टर स्ट्रोक चला राहुल गांधी ने. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ अंबिकापुर की भारत जोड़ो न्याय रैली में राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से पहली गारंटी का ऐलान कर दिया. राहुल की गारंटी ये है कि, कांग्रेस स्वामीनाथन कमीशन के अनुशंसा के मुताबिक हर किसान को फसल पर MSP की कानूनी गारंटी देगी.
किसान आंदोलन के बहाने MSP का दाव खेल गए राहुल
हार के बाद भी राहुल गांधी ने हिम्मत नहीं हारी. जिस छत्तीसगढ में उनकी पार्टी जीता हुआ चुनाव हार गई वहीं राहुल ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ लेकर पहुंच गए. हालांकि इसका पता नहीं है कि, मोदी की गारंटी की काट में राहुल और कितनी गारंटी देंगे लेकिन गरमाते किसान आंदोलन के बहाने कांग्रेस ने गारंटी का पहला कार्ड चल दिया है. MSP पर कानूनी गारंटी का मतलब, किसानों पर सालाना 10 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की गारंटी होगी. रैली में राहुल ने जो बात कही, अब वही बात कांग्रेस पार्टी की लाइन है.
चुनावी सीजन में चल रहा है गारंटियों का शोर
वैसे पिछली बार मोदी की गारंटी से पहले चुनावों में राहुल गांधी की गारंटी से राजनीति पलट गई थी. हिमाचल, कर्नाटक, तेलंगाना के चुनाव में राहुल की गारंटी हिट रही और बीजेपी देखती रह गई. कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों में सरकार बना ली. खेल तब पलटा जब पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव में ‘मोदी की गारंटी’ कहना शुरू किया. मोदी की गारंटी ने राहुल की गारंटी को हराकर ये तीनों राज्य जीत लिए. अब ‘मोदी की गारंटी’ के भरोसे ही बीजेपी लोकसभा चुनाव लड़ने वाली है.
अब जान लीजिए MSP को लेकर क्या है एमएस स्वामीनाथन की रिपोर्ट?
एमएस स्वामीनाथन वही हैं जिनको मोदी सरकार ने हाल ही में भारत रत्न सम्मान देने का फैसला किया है. साल 2004 में किसानों के हित में स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी. 2006 में उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश दी कि, ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी फसल की औसत लागत से 50 परसेंट से ज्यादा होना चाहिए, ताकि छोटे किसानों को फसल की उचित कीमत मिल सके.
स्वामीनाथन कमीशन बनने के बाद कांग्रेस के यूपीए गठबंधन ने दो सरकारें चलाई. वहीं अब दो सरकारें पीएम मोदी भी चला चुके हैं, लेकिन किसी ने अबतक किसानों के लिए स्वामीनाथन की सिफारिशें लागू नहीं की. स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार को कलेजा चाहिए. माना जाता है कि, MSP की गारंटी पर कानून लाने पर सरकार का खर्च हर साल कम से कम 10 लाख करोड़ का बोझ बढ़ेगा जो सरकारों के लिए नागवार है.
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