बिहार में राहुल गांधी का मिशन 2025: कन्हैया के सहारे EBC-मुस्लिम वोट साधने की रणनीति?

Rahul Gandhi Bihar Visit : राहुल गांधी का बार-बार बिहार आना महज संयोग नहीं, बल्कि एक सियासी प्रयोग की तैयारी है. कन्हैया कुमार के साथ पदयात्रा, EBC वोट बैंक पर फोकस और संगठनात्मक मजबूती. इन सबके ज़रिए कांग्रेस 2025 के विधानसभा चुनाव में नई जमीन तलाश रही है. सवाल यही है: क्या रणनीति रंग लाएगी?

NewsTak

विजय विद्रोही

08 Apr 2025 (अपडेटेड: 08 Apr 2025, 11:44 AM)

follow google news

Read more!

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर बिहार की धरती पर पहुंचे. पिछले चार महीनों में यह उनका तीसरा बिहार दौरा है. इस बार वह बेगूसराय में कन्हैया कुमार की 'पलायन रोको, नौकरी दो' पदयात्रा में शामिल हुए. यह यात्रा बिहार के युवाओं में रोजगार की मांग और पलायन रोकने के मुद्दे को लेकर आयोजित की जा रही है. लेकिन इस दौरे के पीछे कई सियासी सवाल और रणनीतियाँ भी छिपी हैं, जो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर कांग्रेस की तैयारियों की ओर इशारा कर रही हैं. आइए, इसे विस्तार से समझते हैं.

बेगूसराय में राहुल गांधी: कन्हैया कुमार का साथ

राहुल गांधी ने सोमवार को बेगूसराय में कन्हैया कुमार की पदयात्रा में हिस्सा लिया. बेगूसराय वही क्षेत्र है, जहां से कन्हैया ने 2019 में सीपीआई के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और हार का सामना करना पड़ा था. अब सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी का यहाँ आना इस बात का संकेत है कि कन्हैया कुमार बेगूसराय से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं? राजनीतिक विश्लेषक विजय विद्रोही ने अपने कार्यक्रम 'विजय फैक्टर' में कहा, "राहुल गांधी का बेगूसराय पर फोकस और कन्हैया के साथ उनकी मौजूदगी यह सवाल उठाती है कि क्या कांग्रेस बिहार में कन्हैया को बड़ा चेहरा बनाना चाहती है."

बिहार: राहुल गांधी की नई प्रयोगशाला?

राहुल गांधी के लगातार बिहार दौरे से यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वह बिहार को अपनी सियासी प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं. विद्रोही के मुताबिक, कांग्रेस बिहार में नई रणनीति पर काम कर रही है. इसमें जिला कांग्रेस कमेटियों (DCC) को मजबूत करना शामिल है. DCC अध्यक्षों को यह जिम्मेदारी दी जा रही है कि वे अपने क्षेत्र से विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का सुझाव दें. क्या यह प्रयोग बिहार विधानसभा चुनाव से शुरू होगा? यह सवाल कांग्रेस की रणनीति को और गहराई देता है.

ये भी पढ़िए: राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी ने कन्हैया कुमार को दिया धक्का? बेगुसराय में पदयात्रा का ये वीडियो हुआ वायरल

महागठबंधन और सीट शेयरिंग का पेंच

बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है, जिसमें RJD और वाम दल शामिल हैं. लेकिन राहुल गांधी के दौरे के बीच सीट शेयरिंग का सवाल भी उठ रहा है. विद्रोही ने कहा, "महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा कैसे होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है. कांग्रेस क्या ज्यादा सीटों की मांग करेगी या RJD के साथ तालमेल बनाएगी, यह देखना बाकी है." इसके साथ ही, कांग्रेस का फोकस EBC (अति पिछड़ा वर्ग) वोटों पर है, जो बिहार में 36.1% हैं और सबसे बड़ा वोट बैंक माने जाते हैं.

EBC और जातीय जनगणना पर जोर

राहुल गांधी का मुख्य मुद्दा 'संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ' और जातीय जनगणना रहा है. विद्रोही ने बताया कि बिहार में EBC वोटर 36.1%, मुस्लिम 18%, और यादव 14% के आसपास हैं, जो कुल मिलाकर 32% बनाते हैं. सवर्ण वोट (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, कायस्थ) 15-16%, लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) और नीतीश का व्यक्तिगत वोट 15-16%, चिराग पासवान का 5.3%, और जीतन राम मांझी का 3.02% वोट है. हाल ही में राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, जो रविदासी समाज (5.2% वोट) से आते हैं. वक्फ कानून के बाद मुस्लिम वोट के 100% महागठबंधन की ओर जाने की संभावना जताई जा रही है.

वोट का गणित: NDA vs महागठबंधन

डेटा एनालिस्ट आशीष रंजन के आकलन के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन को 37-37% वोट मिले थे. लेकिन मौजूदा समीकरण में NDA का वोट प्रतिशत 43.17% और महागठबंधन का 38.75% है. यानी NDA को 4% की बढ़त है. अगर 2.5% वोट महागठबंधन की ओर स्विंग करता है, तो मुकाबला कांटे का हो सकता है. विद्रोही ने कहा, "BJP हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण पर जोर दे रही है, लेकिन बिहार में जाति का गणित ज्यादा प्रभावी है."

राहुल गांधी का मकसद क्या?

राहुल गांधी ने बिहार में नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और कन्हैया कुमार को जिम्मेदारी दी है. यात्रा खत्म होने के बाद कन्हैया को नई भूमिका मिल सकती है. विद्रोही के अनुसार, "राहुल EBC वोटों को साधने के साथ बिहार को प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं. अगर महागठबंधन 2-3% अतिरिक्त वोट हासिल कर ले, तो वह NDA को कड़ी टक्कर दे सकता है."

राहुल गांधी का बिहार दौरा सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि विधानसभा चुनाव की बड़ी तैयारी का हिस्सा है. कन्हैया कुमार को आगे बढ़ाना, EBC और मुस्लिम वोटों पर फोकस, और जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करना उनकी रणनीति का हिस्सा है. क्या यह प्रयोग सफल होगा? यह नवंबर 2025 में होने वाले चुनाव में ही पता चलेगा. तब तक बिहार की सियासत में हलचल जारी रहेगी.

यहां देखिए वीडियो:

 

    follow google newsfollow whatsapp