NDA में आने को लेकर दिल्ली में अमित शाह से मिले राज ठाकरे, INDIA से भी आ गया ये ऑफर 

रूपक प्रियदर्शी

20 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 20 2024 10:30 AM)

राज ठाकरे बीजेपी के साथ नहीं थे लेकिन बीजेपी के खिलाफ भी नहीं रहे. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे, शरद पवार ने जब MVA गठबंधन बनाया तब भी राज ठाकरे को INDIA अलायंस में लाने की कोशिश नहीं की गई.

Raj Thackeray meets Amit Shah

Raj Thackeray meets Amit Shah

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Maharashtra Politics: पूरे महाराष्ट्र में सिर्फ एक विधायक. वोट शेयर सवा दो फीसदी. न जोरदार संगठन, न दमदार नेता. फिर भी राज ठाकरे को NDA में लाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है. राज ठाकरे मुंबई में रहते हैं. आदमी कितना भी बड़ा क्यों न हो, राज ठाकरे किसी से मिलने जाते नहीं. गौतम अदाणी हों या सीएम एकनाथ शिंदे या डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस सबको राज ठाकरे के घर जाकर मिलना पड़ता है. लेकिन बीते दिन कुछ अलग देखने को मिला. राज ठाकरे दिल्ली आए और गृहमंत्री अमित शाह से मिले. इस मीटिंग के बाद ये लगभग फाइनल है कि, राज ठाकरे NDA ज्वाइन करने जा रहे हैं. 

आमतौर पर किसी भी नेता का अमित शाह से मिलना-मिलाना तभी होता है जब सारी चीजें फाइनल हो चुकी होती है. हालांकि राज ठाकरे या बीजेपी नेताओं ने अभी तक कुछ कहा नहीं है कि, राज ठाकरे दिल्ली क्यों आए और अमित शाह से क्यों मिले. बीजेपी के साथ NDA में आ रहे हैं या नहीं. चर्चा इस बात की भी तेज है कि, राज ठाकरे की पार्टी के उम्मीदवार के लिए बीजेपी दक्षिण मुंबई की सीट छोड़ सकती है. 

राज ठाकरे बीजेपी के साथ नहीं थे लेकिन बीजेपी के खिलाफ भी नहीं रहे. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे, शरद पवार ने जब MVA गठबंधन बनाया तब भी राज ठाकरे को INDIA अलायंस में लाने की कोशिश नहीं की गई. लेकिन अब जब राज ठाकरे दिल्ली आए और अमित शाह से मिले तब INDIA गठबंधन वालों के कान अचानक खड़े हुए हैं. 

सुप्रिया सुले ने राज ठाकरे को दिया ये ऑफर 

सुप्रिया सुले ने राज ठाकरे को ऑफर दिया है कि, अगर वो INDIA में आएंगे तो उचित सम्मान करेंगे. शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार ने राज ठाकरे साहब बोलते हुए उन्हें खुला ऑफर दे दिया. ये समझाते हुए कि बीजेपी को जरूरत है इसलिए अहमियत दे रही है. महाराष्ट्र धर्म का पालन करने के लिए राज ठाकरे साहब को महाविकास अघाड़ी के साथ जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए. 

अब जानिए कौन हैं राज ठाकरे?

राज ठाकरे, बाला साहेब ठाकरे के भतीजे और उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं. पुराने शिवसैनिक रहे हैं लेकिन बाला साहेब की विरासत की लड़ाई में उद्धव ठाकरे से हारने के बाद पार्टी और परिवार दोनों से रूठ गए. फिर उन्होंने अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी MNS बनाई . राज ठाकरे खुद तो चुनाव नहीं लड़ते. सबसे अच्छा चुनाव उनकी पार्टी ने साल 2009 में लड़ा था जब MNS ने 143 सीटें लड़कर 13 सीटें जीती थी. 2014 के चुनाव में 219 सीटें लड़कर एक और 2019 में 101 सीटें लड़कर भी एक सीट जीत पाई थी उनकी पार्टी. नगरपालिका के चुनावों में भी MNS कभी कोई असर नहीं छोड़ पाई. माना ये जाता है कि, राज ठाकरे ने हमेशा रुआब बनाकर रखा इससे उनकी पार्टी नहीं चल पाई.

बीजेपी को राज ठाकरे में इतनी दिलचस्पी क्यों?

एक-एक वोट और एक-एक सीट की लड़ाई वाली बीजेपी, चुनावों में MNS  के प्रदर्शन का सच तो जानती ही होगी. फिर भी राज ठाकरे में इतना इंटरेस्ट क्यों? माना जा रहा है कि, राज ठाकरे के बहाने बीजेपी शिवसेना के उन मराठी वोटरों को अपने साथ ला सकती है जो बीजेपी या एकनाथ शिंदे के बुलाने पर भी नहीं आने वाले. कभी बाला साहेब ठाकरे के उत्तराधिकारी के दावेदार रहे राज ठाकरे के साथ बाला साहेब वाला सेंटीमेंट शिफ्ट हो सकता है. 

ऐसा करने से उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को डैमेज होगा. उद्धव को डैमेज मतलब पूरे इंडिया गठबंधन को डैमेज. राज ठाकरे को मुंबई की सीट देने से आसपास की सीटों पर भी असर पड़ेगा, बीजेपी की ये उम्मीद है. एनडीए या चुनाव मैदान में राज ठाकरे की मौजूदगी कम से कम उद्धव को मुंबई में जीतने से रोक सकती है. 

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