महाराष्ट्र में राज ठाकरे बीजेपी के साथ आएंगे! जानिए बाल ठाकरे के भतीजे से NDA को क्या मिलेगा

रूपक प्रियदर्शी

• 02:50 AM • 20 Feb 2024

राज ठाकरे बीजेपी विरोधियों के साथ नहीं गए लेकिन बीजेपी के साथ भी परमानेंट नहीं रहे. हिंदुत्व वाली पॉलिटिक्स के बहाने हमेशा बीजेपी की साइड दिखे.

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Maharashtra News: जिस समय कांग्रेस INDIA अलायंस बना रहा था तब बीजेपी का NDA गठबंधन कमजोर पड़ता हुआ नजर आ रहा था. लेकिन INDIA में बिखराव के साथ बीजेपी ने NDA को फिर से दुरुस्त कर लिया है. दक्षिण से उत्तर, पूरब से पश्चिम तक बीजेपी हर उस पार्टी को वापस NDA में ला रही है जिसका कभी न कभी बीजेपी से संबंध रहा. बीजेपी की इसी प्लानिंग के तहत महाराष्ट्र में राज ठाकरे NDA में आते दिख रहे हैं. महाराष्ट्र बीजेपी नेता आशीष शेषार से राज ठाकरे की घंटे भर की मुलाकात के बाद ये चर्चा तेज है कि, बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ बैठक के बाद राज ठाकरे की NDA में एंट्री फाइनल हो जाएगी.

पहले जानिए कौन हैं राज ठाकरे और क्या है उनकी सियासी ताकत

राज ठाकरे महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से हैं. वो बाला साहेब ठाकरे के भतीजे और उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई. पर राज ठाकरे एकनाथ शिंदे नहीं हैं क्योंकि साल 2005 में जब उद्धव और राज ठाकरे के बीच विवाद हुआ तब उन्होंने पलटकर बाला साहेब ठाकरे की राजनीतिक विरासत और पार्टी शिवसेना पर हक नहीं जताया. उन्होंने अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना(MNS) बनाई, जिसमें न ठाकरे परिवार का नाम था, न शिवसेना का.

हालांकि ये भी एक सच्चाई है कि, MNS कभी महाराष्ट्र या मुंबई में राजनीतिक ताकत नहीं बन पाई. विवादों और चर्चाओं में तो खूब रही लेकिन वोट नहीं मिले. पिछले 17-18 साल पुरानी पार्टी का बेस्ट स्कोर 2009 के विधानसभा चुनाव में रहा जब पहली बार चुनाव लड़ते हुए MNS के 13 विधायक जीते थे. 10 साल बाद 2019 के चुनाव में 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली राज ठाकरे की पार्टी 100 सीटों पर हारी और सिर्फ एक सीट जीत पाई. पूरे चुनाव में उनकी पार्टी को एक फीसदी से भी कम वोट मिले.

राज ठाकरे में बाला साहेब ठाकरे की छवि मानी जाती है. बाला साहेब जब एक्टिव पॉलिटिक्स में थे तब राज ठाकरे को ही उत्तराधिकारी माना जाता था. 2005-06 ने जब बाला साहेब को शिवसेना और ठाकरे परिवार की विरासत चुनना था तब उन्होंने भतीजे राज ठाकरे को नहीं बल्कि बेटे उद्धव ठाकरे को चुना. वहीं से राज ठाकरे, ठाकरे परिवार से, शिवसेना से और उद्धव ठाकरे से दूर हुए. अब 20 साल होने को आए लेकिन राज ठाकरे अपनी पॉलिटिक्स और पॉलिसी से एक इंच इधर-उधर नहीं हुए.

राज ठाकरे ने MNS का लोगो, झंडा, चुनाव चिन्ह, कलर-सब बदल लिया लेकिन ज्यादा कुछ हुआ नहीं. फिर भी मुंबई में राज ठाकरे की पूछ है. राज ठाकरे किसी से मिलने किसी के घर नहीं जाते. गौतम अदाणी, एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस को भी मिलने उनके घर जाना पड़ता है. अगर कोई नहीं जाता तो वो हैं उद्धव ठाकरे.

चुनावों में राज ठाकरे की पार्टी MNS

2009 में बेस्ट 2009 जीते वोट शेयर
13 विधायक 101 उम्मीदवार 1 1% से कम 1

बीजेपी को राज ठाकरे में इंटरेस्ट क्यों रहता है?

ये पहली बार नहीं है जब बीजेपी राज ठाकरे को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है. इससे पहले भी ऐसे कई मौके आ चुके है. वर्तमान में राज ठाकरे को साधने का गणित ये माना जा रहा है कि, बीजेपी एकनाथ शिंदे को तो शिवसेना समेत ले आई लेकिन ठाकरे की विरासत नहीं ला पाई. वो विरासत आज भी उद्धव ठाकरे के पास है. राज ठाकरे से अलायंस में बीजेपी को वोटों का फायदा कम लेकिन ठाकरे की विरासत का फायदा ज्यादा दिखता है. राज ठाकरे बीजेपी का बड़ा फायदा कराएं या न कराएं, उद्धव ठाकरे का नुकसान कर सकते हैं.

राज ठाकरे बीजेपी विरोधियों के साथ नहीं गए लेकिन बीजेपी के साथ भी परमानेंट नहीं रहे. हिंदुत्व वाली पॉलिटिक्स के बहाने हमेशा बीजेपी की साइड दिखे. राज ठाकरे की राजनीति में हमेशा ये गुंजाइश रहती है कि बीजेपी आए. उन्हें मनाए और अलायंस का प्रपोजल दे. लोकसभा चुनाव से पहले अभी भी सब राज ठाकरे की राजनीति के हिसाब से हो रहा है.

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