राजस्थान की ‘स्विंग सीटों’ में छिपा है सरकार बनाने का पूरा गणित!

अभिषेक

• 10:43 AM • 18 Oct 2023

प्रदेश में स्विंग सीटों की संख्या कफी ज्यादा है, जिनके बारे में ये नहीं कहा जा सकता है कि वे किसके पक्ष में जाएंगी. पर ये जरूर है कि ये सीटें जिसके पालें में जाती हैं, सरकार उन्हीं की बनती है.

राजस्थान इलेक्शन

राजस्थान इलेक्शन

follow google news

Rajasthan Election 2023: राजस्थान की सियासत के डेढ़ दशक की राजनीति को देखें तो हमें एक ट्रेंड समझ में आता है. यहां भाजपा और कांग्रेस ने पिछले दशक में अपने-अपने मजबूत गढ़ बनाए हैं. लेकिन ये गढ़ कुछ सीटों तक ही सीमित हैं. प्रदेश में स्विंग सीटों की संख्या कफी ज्यादा है, जिनके बारे में ये नहीं कहा जा सकता है कि वे किसके पक्ष में जाएंगी. पर ये जरूर है कि ये सीटें जिसके पालें में जाती हैं, सरकार उन्हीं की बनती है. आइए समझते हैं स्विंग सीटों के इस पूरे गणित को.

क्या है स्विंग सीटों का गणित

इंडिया टुडे के डेटा इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट के मुताबिक 2008 के चुनावों की नतीजों से देखें, तो राजस्थान विधानसभा की कुल 200 सीटों में लगभग 166 सीटें ऐसी हैं, जिन्हें स्विंग सीटें माना जा सकता है. ऐसी सीटें जिन्हें लेकर कोई भी दल कॉन्फिडेंट नहीं है. सरकार बनाने में ये सीटें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 2013 के चुनावों की बात करें तो इन 166 सीटों में से 135 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. कांग्रेस के खाते में सिर्फ 16 सीटें आई थीं. अन्य को 16 सीटों पर जीत मिली थी. 2018 के चुनावों में जब कांग्रेस ने सरकार बनाई, तब पार्टी ने इनमें से 95 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी को मात्र 45 सीटें आई थीं. अन्य ने भी 26 सीटों पर कब्जा जमाया था.

स्ट्रॉन्गहोल्ड सीटों में कांग्रेस से आगे बीजेपी

166 स्विंग सीटों के अलावा रास्थान में 36 सीटें और बचती हैं. इनमें अगर स्ट्रॉन्ग होल्ड की बात करें, तो बीजेपी कांग्रेस से आगे नजर आती है. स्ट्रॉन्गहोल्ड मतलब जैसे सदरपुर सीट जहां से अशोक गहलोत 1999 से ही जीतते आ रहे हैं. जैसे झालरपाटन, जो 2003 से ही वसुंधरा राजे का गढ़ है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 28 विधानसभाओं में लगातार जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस के खाते में ऐसे सिर्फ 5 इलाके हैं. यानी कांग्रेस को अगर राजस्थान में अपनी सरकार बचानी है, तो उसे स्विंग सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा, क्योंकि स्ट्रॉन्गहोल्ड सीटें पहले से ही पार्टी के पास कम हैं.

इनपुट: इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट.

    follow google newsfollow whatsapp