Uttarakhand Tunnel Incident: उत्तराखंड की उत्तरकाशी टनल में 11 दिन से 41 मजदूर फंसे हुए हैं. उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालने की कोशिश जारी हैं. इस बीच एक ब्रेकथ्रू मिला है. NHIDCL (National Highways and Infrastructure Development Corporation Limited) के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) महमूद अहमद ने कहा है कि “कल सुबह या आज देर रात अच्छी खबर आ सकती है”. क्या हो सकती है ये अच्छी खबर? आइए आपको बताते हैं.
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इससे पहले मंगलवार को टनल में फंसे मजदूरों से जुड़ी एक गुड न्यूज पहले भी आ चुकी है. तब टनल में फंसे मजदूरों की तस्वीर और वीडियो पहली बार देखने को मिला. असल में सोमवार देर शाम ड्रिल करके टनल में 57 मीटर लंबी और 6 इंच चौड़ी पाइप मजदूर तक पहुंचाई गई थी. इसी पाइप से एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा भेज कर मजदूरों को देखा गया.
अब यह रेस्क्यू ऑपरेशन खास मोड़ पर पहुंचा
एनडीआरएफ और एनडीआरएफ के टीम ने टनल में फंसे मजदूरों से एक ऑडियो चैनल बना लिया है. पाइप से अंगर माइक्रोफोन और एक स्पीकर भेजा गया. अब उनके साथ माइक्रोफोन के जरिए बातचीत हो रही है. रेस्क्यू टीम का दावा है कि गुरुवार सुबह या आज देर रात तक ही अच्छी खबर आ सकती है.
NHIDCL के MD महमूद अहमद ने बताया कि, ‘टेलीस्कोपिक मेथड के जरिए 900 मिलीमीटर पाइप के अंदर हम 800 मिलीमीटर पाइप डाल रहे हैं. जिससे NDRF की टीम रेंगते हुए अंदर जाएगी. हम 18 मीटर और आगे जा चुके हैं.’ उन्होंने कहा कि, ’39 मीटर तक हमारी ड्रिलिंग हो चुकी है और 800 मिलीमीटर की पाइप वहां तक पहुंच चुकी है. यह हमारे लिए काफी खुशी की बात है कि हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.’
मीडिया रिपोर्ट्स में प्लान बी का भी जिक्र
फिलहाल ऑगर मशीनों ने 21 मीटर पाइप डालने के बाद रात को 1:45 बजे ड्रिलिंग करनी शुरू की गई है. अगर कोई अड़चन और दिक्कत नहीं आती है तो ड्रिलिंग कल सुबह तक पूरी होने की उम्मीद है. अगर ड्रिलिंग असफल हो जाती है तो मीडिया रिपोर्ट्स में प्लान बी का भी जिक्र है. ऐसा हुआ तो दूसरे ऑप्शन के तहत सिल्क्यारा सुरंग को दोनों तरफ से खोदा जाएगा. पर इस प्लान से 10-15 दिन तक लग सकते हैं.
सुरंग में फंसे मजदूर हार न मानें, इसके लिए माकूल व्यवस्था
NHIDCL के एमडी महमूद के मुताबिक अबतक की बातचीत में मजदूरों ने अंदर सब कुछ ठीक होने की बात बताई है. मजदूरों तक पर्याप्त खाना भेजा जा रहा है. अब उन तक टूथब्रश, एसेंशियल अंडरगारमेंट और टॉवल भेजे जा रहे हैं. प्रशासन इसके अलावा भी मजदूरों के स्वास्थ्य और देखभाल के लिए पूरी व्यवस्था के साथ वहां तैयार है. घटनास्थल पर पहले से 40 एंबूलेंस खड़ी की गईं हैं. सभी एंबूलेंस में इमरजेंसी के लिए एक्स्ट्रा 2 ऑक्सीजन सिलेंडर रखे गए हैं.
फार्मासिस्ट, मनोचिकित्सक और फिजिशियन के साथ डॉक्टरों की टीम भी मौजूद है. ऋषिकेश एम्स के साथ ही वहां के लोकल अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया है. मजदूरों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मनोचिकित्सकों से उनकी बात करवाई जा रही है. जिससे वह मानसिक रूप से मजबूत रहें और हार न मानें.
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