दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल फरवरी में समाप्त हो रहा है, और ऐसे में जनवरी के अंत तक चुनाव कराए जाने की संभावना जताई जा रही है. इस हफ्ते बीजेपी की कोर ग्रुप के साथ चुनाव प्रबंधन समिति और उम्मीदवार चयन समिति का गठन भी किया जा सकता है. हाल के एक सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि बीजेपी का दिल्ली में 28 साल का राजनीतिक वनवास खत्म हो सकता है. सूत्रों के अनुसार, पार्टी के आंतरिक सर्वे में पहली बार ऐसा लग रहा है कि 2013 के बाद बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है.
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बीजेपी के हालिया सर्वेक्षण में अनुमान है कि पार्टी को आगामी चुनाव में 43.4% वोट मिल सकते हैं, और इसी को बढ़ाकर 46% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है. इस रणनीति के तहत महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के परिणामों के बाद दिल्ली पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
महाराष्ट्र और झारखंड के बाद दिल्ली पर संघ की नजर
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित बीजेपी फिलहाल महाराष्ट्र और झारखंड पर फोकस किए हुए है, लेकिन दिल्ली चुनाव की तैयारियां भी साथ-साथ जारी हैं. पार्टी लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी है, लेकिन विधानसभा चुनाव में पीछे रह जाती है. इस बार बीजेपी ने आरएसएस के साथ मिलकर पूरी ताकत झोंकने की योजना बनाई है. कार्यकर्ता हर बूथ पर जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं, जिससे मतदाताओं से नजदीकी बढ़ाई जा सके. बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड में मतदान के बाद आरएसएस का पूरा फोकस दिल्ली पर होगा.
टिकट की रेस में आगे हैं दो पूर्व सांसद
पार्टी के अंदरूनी लोगों के मुताबिक, पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा और रमेश विधूड़ी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. क्योंकि आम चुनाव में उन्हें मौका नहीं मिल पाया था. इसके साथ ही, दिल्ली नगर निगम के कुछ सीनियर पार्षद भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. वहीं, हाल ही में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली समेत कुछ नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है, जिससे उन क्षेत्रों के वर्तमान विधायकों में टिकट मिलने को लेकर असहजता है.
इन सीटों पर एनडीए लड़ सकता है चुनाव
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के घटक दलों जेडीयू और एलजेपी को संगम विहार, बुराड़ी, सीमापुरी जैसी मुस्लिम बहुल सीटें दी जा सकती हैं. बीजेपी ने इन सहयोगी दलों को तीन से पांच सीटें देने का विचार बनाया है.
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