Delhi Politics: आम आदमी पार्टी के सामने इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलेगी या नहीं? अगर कोर्ट का फैसला सीएम केजरीवाल के खिलाफ जाता है, तो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी के आठ विधायकों और केजरीवाल के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद द्वारा भेजी गई चिट्ठी को गृह मंत्रालय को भेज दिया है. इस चिट्ठी में दिल्ली सरकार को संवैधानिक संकट का हवाला देकर बर्खास्त करने की मांग की गई है.
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क्या होगा केजरीवाल सरकार का भविष्य?
अरविंद केजरीवाल सरकार का भविष्य एक ओर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दूसरी ओर राष्ट्रपति को भेजी गई चिट्ठी के बीच लटका हुआ है. सुप्रीम कोर्ट को केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनाना है, जबकि बीजेपी विधायकों की चिट्ठी ने दिल्ली में राजनीतिक हलचल मचा दी है. अब इस बीच ये सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है?
30 अगस्त को बीजेपी के आठ विधायकों ने एक चिट्ठी राष्ट्रपति को भेजी थी, जिसमें उन्होंने केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग की. इन विधायकों का कहना है कि:
- दिल्ली में सरकारी कामकाज ठप पड़ा है क्योंकि मुख्यमंत्री केजरीवाल जेल में हैं.
- दिल्ली के छठे वित्त आयोग का गठन नहीं हुआ है, जिससे MCD को पर्याप्त फंड नहीं मिल रहा.
- CAG की 11 रिपोर्ट्स को अब तक विधानसभा में पेश नहीं किया गया है.
- दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट भी विधानसभा में नहीं रखी गई है.
- दिल्ली सरकार केंद्र की योजनाओं, जैसे आयुष्मान भारत योजना, को जानबूझकर लागू नहीं कर रही है.
बीजेपी-AAP में वार-पलटवार
बीजेपी विधायकों ने 30 अगस्त को राष्ट्रपति से दिल्ली सरकार को बर्खास्त करने की मांग की.6 सितंबर को राष्ट्रपति ने इस चिट्ठी को गृह मंत्रालय को भेज दिया. इसके बाद आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वे चोर दरवाजे से सरकार गिराना चाहते हैं, जबकि बीजेपी ने इसे 'चोर की दाढ़ी में तिनका' कहकर पलटवार किया.
अब आगे क्या?
दिल्ली की राजनीति में चल रही उठापटक के बीच अब मुख्य सवाल ये उठता है कि अब क्या होगा? होम मिनिस्ट्री अब एलजी से रिपोर्ट मांग सकता है और इसके बाद की रिपोर्ट प्रेसिडेंट को भेजी जाएगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की जमानत को लेकर कभी भी फैसला सामने आया जा सकता है. इस बीच एक ये भी सवाल उठता है कि अगर राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लगता है तो इससे किसे फायदा मिलेगा.
राष्ट्रपति शासन से किसे होगा फायदा?
अगर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सीएम केजरीवाल को बेल दे देती है तो वे जेल से बाहर आकर सरकार को चला सकते हैं. लेकिन अगर बेल नहीं मिलती है तो भी केजरीवाल जेल से सरकार को चलाने की कोशिश करेंगे. राजीनि के पंडितों का मानना है कि अगर राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है इससे आगामी दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को फायदा मिल सकता है और बीजेपी को नुकसान हो सकता है.
दिल्ली में पहले भी लगा था राष्ट्रपति शासन
पहले भी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग चुका है. 16 फरवरी 2014 से लेकर 13 फरवरी 2015 तक ये लागू रहा था. केजरीवाल ने अपने कार्यकाल के दौरान 49 दिनों बाद इस्तीफा दिया था जब ये राष्ट्रपति शासन लगाया गया था और 363 दिनों तक ये लागू रहा था. 14 फरवरी 2015 ने केजरीवाल ने दोबारा सरकार बनाई थी और आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रचा था.
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