अजित पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में मचाई खलबली, स्वीकार की गलती, क्या बदलने जा रहे हैं पाला?

News Tak Desk

08 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 8 2024 11:19 AM)

Maharashtra Politics: अजित पवार ने अपने एक बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली पैदा कर दी है. दरअसल उन्होंने अजित पवार ने एक बार फिर से ये बात स्वीकार की है कि अपनी पत्नी सुनेत्रा को बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ाना उनकी गलती थी.

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार (फाइल फोटो)

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Ajit Pawar: महाराष्ट्र में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी बीच, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने एक बयान से सबको हैरान कर दिया है. उनके बयान को लेकर अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही हैं. दरअसल, अजित पवार ने एक बार फिर से ये बात स्वीकार की है कि अपनी पत्नी सुनेत्रा को बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ाना उनकी गलती थी उन्होंने कहा कि पारिवारिक झगड़ों को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए.

यह दूसरी बार है जब अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से इस गलती को स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी पत्नी को बहन के खिलाफ खड़ा करके गलती की. उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति को घर की दहलीज से दूर रखना चाहिए.

अजित पवार ने क्या कहा?

अजित पवार शुक्रवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में थे, जहां उन्होंने पार्टी के नेता और राज्य मंत्री धर्मराव बाबा आतराम की बेटी भाग्यश्री को शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल होने से हतोत्साहित किया. इस बात की अटकलें हैं कि आगामी चुनावों में भाग्यश्री और उनके पिता के बीच मुकाबला हो सकता है.

अपने बयान में अजित पवार ने कहा, "कोई भी पिता से ज्यादा अपनी बेटी को प्यार नहीं कर सकता. अब तुम (भाग्यश्री) अपने ही पिता के खिलाफ लड़ने जा रही हो. क्या यह सही है? तुम्हें अपने पिता का समर्थन करना चाहिए और उन्हें जीताने में मदद करनी चाहिए, क्योंकि केवल वही इस क्षेत्र के विकास के लिए सही क्षमता और दृढ़ता रखते हैं. समाज कभी भी अपने परिवार को तोड़ने का समर्थन नहीं करता."

'समाज इसे पसंद नहीं करता'

अजित पवार ने यह भी कहा, "समाज इसे पसंद नहीं करता. मैंने भी यही अनुभव किया है और अपनी गलती स्वीकार की है."अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को लोकसभा चुनावों में 4 में से 3 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें बारामती भी शामिल था, जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाले धड़े ने 10 में से 8 सीटें जीतीं.

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