सेम सेक्स मैरेज़ को सुप्रीम कोर्ट की ना! मामला अब संसद के पाले में, जानिए इस पूरे केस को

अभिषेक

17 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 18 2023 3:48 AM)

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुना दिया. बेंच ने 3-2 की सहमति से समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता नहीं देने का फैसला किया है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता.

LGBTQ

LGBTQ

follow google news

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुना दिया. बेंच ने 3-2 की सहमति से समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता नहीं देने का फैसला किया है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है. समलैंगिक जोड़ों के बच्चे गोद लेने के अधिकार से रोकने के नियम को भी 3:2 के बहुमत से बरकरार रखा है. हालांकि फैसले में सरकारों को समलैंगिक जोड़ों के लिए उचित कदम उठाने का आदेश भी दिया गया है.

क्या है पूरा मामला

सेम सेक्स मैरेज़ को लेकर कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता ना होना समानता के अधिकार का उल्लंघन है. वहीं उन्होंने स्पेशल मैरेज एक्ट को जेंडर न्यूट्रल बनाने की मांग भी की थी. उनका तर्क था कि सेम सेक्स कपल को वे अधिकार नहीं मिलते जो किसी नॉर्मल शादी किये हुए जोड़ों को मिलते है. जैसे- बच्चा गोद लेना, एकसाथ बैंक अकाउंट, नॉमिनी बनाना etc. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल से ही दलीलें सुन रहा था.

याचिकाकर्ताओं के पक्षकार वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया था कि, समलैंगिकों के लिए समान अधिकार हासिल करने की दिशा में सबसे बडा रोड़ा IPC की धार 377 थी. इसे 5 साल पहले ही निरस्त कर दिया गया है. अब इसके लिए रास्ता साफ हो गया है. पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कानून बनाने के संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल देने से इनकार कर दिया.

समलैंगिक शादी पर SC में सरकार की ये थी दलीलें

 

  • वैध शादी क्या है और किसके बीच है, ये कौन तय करेगा?
  • क्या ये मामला पहले संसद या राज्यों की विधानसभाओं में नहीं आना चाहिए?
  • विवाह को मान्यता देना एक विधायी कार्य है. अदालतों को ऐसे मामलों से बचना चाहिए.
  • यह भारतीय परिवार की अवधारणा के खिलाफ है और इससे सामाजिक संतुलन बिगड़ सकता है.

बता दें कि सरकार ने सेम सेक्स मैरेज़ को अप्राकृतिक बताते हुए इसका विरोध किया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सब कुछ क्लियर कर दिया है. समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देनी है या नहीं, ये संसद और विधायिका का विषय है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भी ऐसे निर्देश दिया है कि समलैंगिको को समाज में समान दर्जा मिले और उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव ना हो.

    follow google newsfollow whatsapp