जगन मोहन रेड्डी और कांग्रेस को टक्कर देने के लिए आंध्र प्रदेश में बीजेपी-टीडीपी ने साथ आने का प्लान बनाया. 7 फरवरी को दिल्ली आकर चंद्रबाबू नायडू अमित शाह और जेपी नड्डा से अलग-अलग मिले. लेकिन बंद कमरे में हुई मुलाकात की न कोई फोटो नहीं आई, न अलायंस को लेकर कोई एलान हुआ.
ADVERTISEMENT
इस बात को 15 दिन होने को आए हैं. अब छन-छनकर ये खबर आ रही है कि अलायंस फंस गया है. अमित शाह और चंद्रबाबू नायडू ने मिलकर एक-दूसरे को समझा जरूर लेकिन अलायंस के लिए कोई फॉर्मूला बना नहीं. डेक्कन हेरल्ड अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अलायंस पर कोई आगे बात नहीं हो रही है. चंद्रबाबू नायडू के पलटी मारने वाले अतीत को ध्यान में रखकर बीजेपी बहुत ज्यादा सावधानी बरत रही है. तब तक हां नहीं करेगी बीजेपी जब तक नायडू के लिए पूरा बंदोबस्त न हो जाए.
सीट शेयरिंग को लेकर फंसा अलायंस?
चंद्रबाबू नायडू के दिल्ली आने के अगले दिन जगन मोहन रेड्डी भी दिल्ली आए थे. सरकारी एजेंडे के साथ उनकी मुलाकात सीधे पीएम मोदी से हुई. इस बात का चांस नहीं के बराबर है कि बीजेपी और जगन मोहन का कोई अलायंस हो सकता है लेकिन हो सकता है जगन मोहन चंद्रबाबू को लेकर बीजेपी को खबरदार कर गए हों. उसके बाद से बीजेपी-टीडीपी की बातचीत ठप है.
अलायंस फंसने की एक वजह सीट शेयरिंग फॉर्मूला भी है. टीडीपी बीजेपी को लोकसभा की 25 में से 6, विधानसभा की 175 में से सिर्फ 20 सीटें देने को तैयार है. बीजेपी इतने पर मान नहीं रही है. जेसीपी को टीडीपी 3 सीटें देने को तैयार है. 2019 के विधानसभा के चुनाव में महज 23 सीटों पर सिमटने के बावजूद टीडीपी का वोट शेयर करीब 40 परसेंट था.
BJP को TDP का ऑफर
TDP+ | BJP | ||
लोकसभा-25 सीट | 19 | 6 | |
विधानसभा-175 सीट | 155 | 20 |
हालांकि बीजेपी-टीडीपी को साथ लाने वाले जन सेना पार्टी के पवन कल्याण का दोनों से अलायंस बना हुआ है. पवन कल्याण पूरा जोर लगाए हुए हैं कि जगन मोहन सरकार के खिलाफ वोटों का बिखराव न हो लेकिन उनकी कोशिशों का फाइनल रिजल्ट आना बाकी है.
आंध्र प्रदेश में बना था जिताऊ अलायंस
बीजेपी और टीडीपी का अलायंस आंध्र प्रदेश में जिताऊ रहा है. 2014 में बीजेपी-टीडीपी अलायंस लोकसभा-विधानसभा चुनावों में था. टीडीपी एनडीए की बड़ी पार्टनर थी. बीजेपी के साथ मिलकर चंद्रबाबू नायडू कांग्रेस की विदाई कराई थी लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी के दगा किया. हार निश्चित देखकर भी मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए थे. बीजेपी को छोड़ने का फैसला 2004 में भी लिया था. जब-जब चंद्रबाबू नायडू-बीजेपी अलग हुए, भारी नुकसान दोनों को हुआ. बाजी कभी कांग्रेस ने, कभी जगन मोहन रेड्डी ने मारी. आंध्र प्रदेश में बीजेपी जमते-जमते रह जाती है. 2014 में चंद्रबाबू नायडू के साथ बीजेपी को 7 परसेंट वोट मिले थे. 2019 में अकेले लड़ने पर वोट शेयर सिर्फ एक परसेंट रह गया.
दो सर्वे, दो अलग नतीजे
वैसे चुनावों से पहले आंध्र प्रदेश का मूड क्लियर नहीं दिख रहा है. इंडिया टुडे मूड ऑफ द नेशन सर्वे के मुताबिक टीडीपी को 25 में से 17, YSRCP को 8 सीटें मिलने का अनुमान है. बीजेपी-कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाएगा. टाइम्स नाऊ के सर्वे में कहानी उलटी है. YSRCP को 17 सीटें और टीडीपी-जेसीपी अलायंस को 6 सीटें मिलने का अनुमान है. दोनों ही सर्वे में कांग्रेस-बीजेपी का खाता नहीं खुलता दिख रहा है.
ADVERTISEMENT