Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के विधायक नवाब मलिक क्या महाराष्ट्र सरकार में टेंशन का विषय बन गए हैं? यह सवाल तब खड़ा हुआ है जब मनी लॉन्ड्रिंग और कथित तौर पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कनेक्शन के आरोपी नवाब मलिक गुरुवार को शीतकालीन सत्र में हिस्सा लेने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंच गए. नवाब मलिक स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर हैं. नवाब मलिक सीधे गए और सत्ता पक्ष की कुर्सियों पर जाकर बैठ गए. इसपर शिवसेना उद्धव गुट ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना कर दी. यह बात उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इतनी नागवार गुजरी की उन्होंने अजित पवार को खत लिखा और उसे एक्स पर पोस्ट भी कर दिया.
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असल में बात तब शुरू हुई जब नवाब मलिक के सत्ता पक्ष की कुर्सी पर बैठने को लेकर शिवसेना (उद्धव गुट) के एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) अंबादास दानवे ने सरकार की आलोचना कर दी. इस पर विधानसभा के अधिकारियों का कहना है कि स्पीकर ने एनसीपी के दोनों गुटों को लेकर अभी फैसला नहीं सुनाया है इसलिए दोनों गुटों के विधायकों के लिए अलग-अलग सिटिंग अरेंजमेंट्स का कोई सवाल ही नहीं उठता है.
फडणवीस ने क्या कहा?
नवाब मलिक के सदन में सत्तापक्ष में बैठने को लेकर गठबंधन में विवाद होना शुरू हो गया है. उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री अजित पवार को पत्र लिखकर कहा है कि जो आरोप नवाब मलिक पर लगे हैं उसे देखते हुए उन्हें गठबंधन में शामिल करना उचित नहीं होगा. वह अभी स्वास्थ्य कारणों की वजह से जमानत पर हैं. फडणवीस ने कहा कि अगर उन पर लगे आरोप सही साबित नहीं होते हैं तो हमें उनका स्वागत करना चाहिए. फडणवीस ने लिखा कि आशा है आप हमारी भावनाओं पर ध्यान देंगे.
नवाब मलिक पर क्या हैं आरोप?
नवाब मलिक पर दाऊद इब्राहिम के साथियों हसीना पारकर और सलीम पटेल के साथ गोवावाला कंपाउड प्रॉपर्टी की जमीन के सौदे को लेकर आरोप हैं. मलिक के जेल में रहते ही एनसीपी में टूट हो गई. मलिक के जेल से वापस आने पर यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह किस गुट को चुनेंगे. इस बीच यह सियासी प्रकरण सामने आ गया. शायद मलिक ने अजित पवार के गुट को चुन लिया है, जो अब महाराष्ट्र सरकार के लिए एक नए पेच के तौर पर सामने आया है.
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