सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर बोलकर संकट में फंसे थे सुब्रत रॉय? जानिए वो पुराना किस्सा

अभिषेक

15 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 17 2023 4:50 AM)

सुब्रत रॉय के मुताबिक तत्कालीन सरकार में रही कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का विरोध ही उनके लिए काल बना. इसके बाद ही एक समय भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक कर्मचारी वाले ग्रुप के ढलान का दौर शुरू हो गया.

Subrata Roy

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Subrata Roy Death: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उनका जन्म बिहार के अररिया जिले में हुआ था. सुब्रत रॉय ने महज 2000 रुपये से गोरखपुर में छोटी सेविंग्स स्कीम का व्यापार शुरु किया था. रॉय ने साल 1978 में ‘सहारा इंडिया परिवार’ ग्रुप की स्थापना की जिसमे फाइनेंस, रियल स्टेट, मीडिया और हॉस्पिटैलिटी समेत कई अन्य क्षेत्र शामिल थे. वर्तमान में वेबसाईट पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक उनके ग्रुप की वैल्यूऐशन 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. सहारा ग्रुप साल 2001 से 2013 तक टीम इंडिया का स्पॉन्सर भी रहा. लंबी बीमारी के बाद उन्हें मंगलवार को हार्ट अटैक आया और डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए.

सुब्रत रॉय के अरबपति बनने, देश की ताकतवर हस्तियों में शुमार होने और फिर फाइनेंशियल फ्रॉड के आरोपों में फंस जाने की कहानी भी गजब है. एक वक्त सुब्रत रॉय का वह बयान भी चर्चा में था जब उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी पर की गई एक टिप्पणी उनपर भारी पड़ गई. आइए जानते हैं वो कहानी.

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नवंबर 2013 की लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय ने कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर एक टिप्पणी ने उनके समूह को परेशानी में डाल दिया. उनका दावा था कि इसके बाद ही सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI उनके पीछे पड़ गई. सेबी सरकार की नियामक एजेंसी है जो भारत के पूंजी बाजार को कंट्रोल करती है. इसका काम ये देखना है कि निवेशकों का हित कैसे सुरक्षित रहे. तब सहाराश्री के नाम से मशहूर सुब्रत रॉय ने बताया था कि, 2004 में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार बनने जा रही थी तब उन्होंने सोनिया गांधी के इतालवी मूल के होने के कारण उनके प्रधानमंत्री (PM) बनने का विरोध किया था. उन्होंने किसी भारतीय मूल के व्यक्ति के ही प्रधानमंत्री बनने का समर्थन किया था. उस समय सोनिया गांधी ने PM का पद लेने से इनकार कर दिया था.

सुब्रत रॉय के मुताबिक तत्कालीन सरकार में रही कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का विरोध ही उनके लिए काल बना. इसके बाद ही एक समय भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक कर्मचारी वाले ग्रुप के ढलान का दौर शुरू हो गया. एक के बाद एक भारतीय रिजर्व बैंक से लेकर SEBI ने उनपर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. वह और सहारा वित्तीय गड़बड़ियों के मामले में फंसते चले गए और उन्हें गिरफ्तार भी होना पड़ा.

वैसे सोनिया गांधी को लेकर सुब्रत रॉय के इन आरोपों की कभी कोई पुष्टि नहीं हो पाई. 2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार चले जाने के बाद भी सुब्रत रॉय की मुश्किलें कभी आसान नहीं हुईं.

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