University Grants Commission: देश में विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं के लिए सबसे बड़ी संस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के एक मसौदे पर विवाद खड़ा हो गया है. UGC के इस मसौदे में ये कहा गया है कि, उच्च शिक्षण संस्थाओं में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित सीटों पर पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने पर इन वर्गों के लिए आरक्षित किसी भी रिक्ति को अनारक्षित घोषित किया जा सकता है. UGC का ऐसा मसौदा सामने आते ही बवाल मच गया. आरक्षण समर्थक एक्सपर्ट्स, इंफ्लूएंसर और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल इसे केंद्र सरकार की आरक्षण खत्म करने की साजिश बताने लगे. बवाल जब काफी बढ़ा, तो शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी को पूरी तस्वीर साफ करनी पड़ी.
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केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इसपर स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा कि, एक भी आरक्षित पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा. UGC के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि, केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (CEI) में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण रद्द नहीं किया गया है और ऐसा कोई भी आरक्षण रद्द नहीं होने जा रहा है.
शिक्षा मंत्रालय ने इस मामले पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, ‘केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती के सभी पदों के लिए केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया जाता है.’ इसमें कहा गया है, इस एक्ट के लागू होने के बाद, किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय ने सभी CEI को 2019 अधिनियम के अनुसार रिक्तियों को सख्ती से भरने के निर्देश दिए हैं.
केंद्र सरकार कर रही आरक्षण खत्म करने की साजिश: कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने UGC के इस फैसले पर कहा कि भाजपा केवल युवाओं की नौकरियां छीनने में व्यस्त है. वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने की मांग की. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘कुछ साल पहले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी. अब उच्च शिक्षण संस्थाओं में SC, STऔर OBC को दिए गए आरक्षण को खत्म करने की साजिश की जा रही है. उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार पर दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के मुद्दों पर केवल ‘प्रतीकवाद की राजनीति’ की सियासत करने का आरोप लगाया.
अब जानिए क्या था UGC का मसौदे जिसपर मचा बवाल
UGC ने पिछले दिनों एक मसौदा जारी किया था. मसौदे में ये था कि, देश के उच्च शिक्षण संस्थाओं में अनुसूचित जाति(SC), अनुसूचित जनजाति(ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) के लिए आरक्षित श्रेणी की रिक्त सीटों पर पर्याप्त उम्मीदवार नहीं मिलने पर या भर्ती के समय खाली रह जाने की स्थिति में उसे अनारक्षित(डिरिजर्वड) घोषित किया जा सकता है. साथ ही उसपर जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों को भर्ती किया जा सकता है. UGC ने अपने इस मसौदे पर 28 जनवरी तक तमाम हितधारकों से उनकी राय मंगाई थी. हालांकि आमतौर पर सीधी भर्तियों के मामले में किसी भी आरक्षित सीट के ‘विआरक्षण’ या अनारक्षित करने पर प्रतिबंध होता है.
इस पूरे मामले पर शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने क्या कहा?
मामले को तूल पकड़ता देख केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने रविवार को ये स्पष्ट किया कि, एक भी आरक्षित पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि, उच्च शिक्षण संस्थान, केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान अधिनियम, 2019 के तहत आते हैं. इसी के तहत शिक्षक संवर्ग में सीधी भर्ती के सभी पदों के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (CEI) में आरक्षण प्रदान किया जाता है. 2019 में इस अधिनियम के लागू होने के बाद ये प्रावधान है कि, किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जायेगा. इसी एक्ट का हवाला देते हुए शिक्षा मंत्री ने संस्थानों में होने वाली भर्तियों में मिलने वाले आरक्षण में अस्पष्टता की बात कही.
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