Hemant Soren-Shibu Soren: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कथित लैंड स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बुरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं. ED की टीम ने 28 जनवरी को सोरेन के दिल्ली के शांति निकेतन में स्थित घर सहित 3 ठिकानों पर सुबह 7 बजे से छापेमारी शुरू की, जो देर रात तक चली. उनके घर से 36 लाख कैश मिल. ईडी की टीम को यहां सोरेन तो नहीं मिले, लेकिन जाते वक्त टीम उनकी HR (हरियाणा) नंबर की BMW कार अपने साथ ले गई. ED की टीम ने हेमंत सोरेन को लेकर एयरपोर्ट पर भी अलर्ट भेज दिया. इस बीच यह जानकारी भी सामने आई है कि, सत्ता पक्ष गठबंधन के विधायकों को अपने बैग और सामान के साथ रांची में एक जगह इकट्ठा होने के लिए कहा गया है. कांग्रेस के विधायक और मंत्री मुख्यमंत्री आवास पहुंच रहे हैं.
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क्या है मामला?
पिछले दिनों ईडी ने रांची में सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की अवैध खरीद फरोख्त का खुलासा किया था. केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में रांची के बड़गाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद को गिरफ्तार किया था. उनके आवास और मोबाइल फोन से बड़ी मात्रा में सरकारी दस्तावेज बरामद हुए थे. इन दस्तावेजों की छानबीन और उनसे जुड़े तथ्यों के सत्यापन को लेकर ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ कर रही है.
ईडी ने प्रदीप बागची, विष्णु कुमार अग्रवाल, भानु प्रताप प्रसाद और अन्य के खिलाफ झारखंड पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस की दर्ज किये गए कई एफआईआर के आधार पर धन शोधन अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज करके तीन भूमि घोटालों की जांच शुरू की थी. इस मामले में जांच आगे बढ़ने पर ईडी अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
आखिर क्यों फंसे हेमंत सोरेन?
हेमंत सोरेन 27 जनवरी की देर रात अचानक दिल्ली रवाना हो गए थे. उन्होंने एक चार्टर फ्लाइट से उड़ान भरी थी. तब बताया गया था कि वह किसी राजनीतिक मुलाकात और कानूनी सलाह करने के लिए दिल्ली गए. इससे पहले ईडी ने उन्हें 10वां समन भेजा था और 29 जनवरी से 31 जनवरी के बीच पेश होने के लिए कहा था. अगर वह ED के सामने पेश नहीं होते हैं, तो एजेंसी उनके आवास पर जाकर पूछताछ करेगी. इसी के बाद हेमंत सोरेन गायब हो गए. दो दिन गायब रहने के बाद बीते दिन वो झारखंड में अपने घर पर आयोजित एक मीटिंग में दिखें.
हेमंत सोरेन की तरह पिता शिबू सोरेन का रहा हैं विवादों से नाता
झारखंड में ‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन पहली बार 1990 के दशक की शुरुआत में ‘झामुमो रिश्वत कांड’ से राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे. तब शिबू सोरेन सहित झामुमो के चार सांसदों पर 1993 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली अल्पमत कांग्रेस सरकार का समर्थन करने के लिए पैसे लेने का आरोप लगा था. हालांकि, वे संसदीय विशेषाधिकार के आधार पर न्यायिक जांच से बच गए. गुरू जी के नाम से राज्य में विख्यात शिबू सोरेन का विवादों से पुराना नाता रहा है. उन पर अपने ही निजी सचिव शशिकांत झा की हत्या का आरोप भी लग चुका है. इसके लिए निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था जिसकी वजह से साल 2006 में मनमोहन सरकार में कोयला मंत्री के पद पर विराजमान शिबू सोरेन को मंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था.
शिबू सोरेन का सियासी सफर
शिबू सोरेन पहला लोकसभा चुनाव साल 1977 में लड़े थे, लेकिन उन्हें इसमें हार का सामना करना पड़ा. साल 1980 में गुरू जी चुनाव जीतने में कामयाब रहे और फिर ये सिलसिला 1989,1991 और 1996 तक बरकरार रहा. साल 2002 में शिबू सोरेन राज्यसभा भेजे गए गए लेकिन दुमका से उसी साल उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. साल 2004 में फिर से लोकसभा चुनाव जीतकर शिबू सोरेन मनमोहन सरकार में मंत्री बने. लेकिन साल 2006 में एक मामले में सजा मिलने की वजह से मंत्री पद गंवाना पड़ा. इसके बाद साल 2008 में उन्हें हाईकोर्ट ने तमाम आरोपों से बरी कर दिया. 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों को दिए गए ठेके में जब घोटाला सामने आया तो पूरी UPA सरकार पर कालिख पुत गई थी.
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