कौन हैं गांधी फैमिली के चहेते केएल शर्मा जिन्हें कांग्रेस ने अमेठी से बनाया उम्मीदवार 

News Tak Desk

03 May 2024 (अपडेटेड: May 3 2024 12:29 PM)

के. एल. शर्मा यानी किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले है. यह पहला मौका है जब शर्मा कोई चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने साल 1983 में यूथ कांग्रेस के साथ अपना सियासी सफर की शुरूआत की थी.

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Amethi Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण के नामांकन का आज यानी 3 मई को आखिरी दिन है. कांग्रेस पार्टी ने आज सुबह यानी नामांकन के आखिरी दिन गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने आज सुबह रायबरेली से राहुल गांधी वहीं के. एल. शर्मा को अमेठी से मैदान में उतारा है. दोनों ही प्रत्याशी आज नामांकन करेंगे. अमेठी से राहुल गांधी की जगह इस बार के. एल. शर्मा को उतार कर कांग्रेस ने नया दाव खेला है. वैसे आपको बता दें कि, अमेठी से उम्मीदवार के. एल. शर्मा को गांधी परिवार खासकर सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. जब रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद थी तो के. एल. शर्मा उनके सांसद प्रतिनिधि के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे थे. आइए आपको बताते हैं आखिर कौन हैं के.एल. शर्मा जो अमेठी में स्मृति ईरानी को देंगे टक्कर इसके साथ क्या रहा है अमेठी का सियासी इतिहास.  

कौन है के. एल. शर्मा? 

के. एल. शर्मा यानी किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले है. यह पहला मौका है जब शर्मा कोई चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने साल 1983 में यूथ कांग्रेस के साथ अपना सियासी सफर की शुरूआत की थी. इसी दौरान वह राजीव गांधी के करीब आ गए थे.   किशोरी लाल शर्मा ने साल 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में पहली बार कदम रखा था. पिछले चार दशक से अधिक समय से के. एल. शर्मा कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं. साल 1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद गांधी परिवार के साथ उनके संबंध और गहरे हो गए. किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार की अनुपस्थिति में सालों से अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्र  की देखरेख करते आए है. साल 1999 में जब सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति में इंट्री लिया था तब के. एल. शर्मा ने उन्हें अमेठी लोकसभा सीट पर चुनाव जीतने में काफी मदद की थी.  

25 साल बाद अमेठी से गांधी परिवार नहीं लड़ रहा चुनाव 

अमेठी लोकसभा सीट पीढ़ियों से गांधी परिवार की कर्मभूमि रही है. कुछ चुनावों को छोड़ दें तो इस सीट पर हमेशा गांधी परिवार को एकतरफा वोट मिलता रहा है और जीत होती रही है. यही वजह है कि, साल 1977 में संजय गांधी, 1981 में राजीव गांधी, 1999 में सोनिया गांधी और 2004 में राहुल गांधी ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत अमेठी से की. साल 2004 से लेकर 2019 तक राहुल गांधी अमेठी से सांसद रहे थे. राहुल गांधी साल 2014 में बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराकर अमेठी में भारी बहुमत से जीत हासिल की थी. लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को जीत मिली. वहीं राहुल गांधी अपनी दूसरी सीट केरल की वायनाड से जीत दर्ज किए. अमेठी में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. 

आपको बता दें कि 25 साल बाद यह ऐसा मौका है जब अमेठी लोकसभा सीट से गांधी परिवार का कोई शख्स चुनाव नहीं लड़ रहा है. साल 1999 से लगातार इस सीट पर गांधी परिवार का दबदबा रहा है. बता दें कि, सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के पांचवें दौर में 20 मई को अमेठी और रायबरेली में मतदान होगा.

यह स्टोरी न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखी है. 

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