Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन की बाधाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. 12 नवंबर को टनल धंसने के बाद से ही मजदूर यहां फंसे हैं. आज रेस्क्यू का 14वां दिन है. इसके बाद भी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता नहीं मिल पाई है. रेस्क्यू में अमेरिकी ऑगर मशीने लगी हुई है. शुक्रवार यानी 24 नवंबर को ऐसी बाधा आई कि अब रेस्क्यू स्ट्रैटिजी बदलने पर भी विचार हो रहा है. अब यहां वर्टिकल ड्रिलिंग यानी ऊपर से ड्रिलिंग और हाथ से ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार किया जा रहा हैं.
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अभी क्या है परेशानी?
यहां टनल में अमेरिकी ऑगर मशीन ड्रिलिंग कर रही थी. शुक्रवार को सिर्फ 14 मीटर की ड्रिलिंग बची हुई थी. ड्रिलिंग शुरू होने के लगभग 2 मीटर के बाद ही लोहे के सरियों से बनी जाल बीच में आ जाने से ड्रिलिंग रोक दी गई. मशीन का अगला हिस्सा मुहाने पर बुरी तरह फंस गया है. उसके ब्लेड सरियों के जाल में फंस गए है, जिसे निकालना बहुत मुश्किल लग रहा है. अधिकारी इसे रेस्क्यू ऑपरेशन में अबतक की ये सबसे बड़ी बाधा बता रहे हैं. सरिये का जाल बीच में आने से यह रास्ता भी लगभग बंद हो गया है.
वर्टिकल ड्रिलिंग की हो रही तैयारी
रेस्क्यू मिशन में लगे सूत्रों के मुताबिक अब वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी की जा रही है. ONGC और SJVNL कंपनी ने वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीने इंस्टॉल कर ली हैं. अब उसे ऊपर चढ़ाने की तैयारी में हैं. वर्टिकल ड्रिलिंग की जरूरत पड़ सकती है, इस बात को देखते हुए सीमा सड़क संगठन(BRO) ने पहले ही उस जगह तक पहुंचने के लिए सड़क तैयार कर ली है. वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर कभी भी बड़ा फैसला हो सकता है.
हाथ से भी खुदाई का है विकल्प
हादसे की जगह पर मौजूद अधिकारी सुरंग में हाथ से ड्रिलिंग करने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं. वैसे ये विकल्प अपनाने पर ड्रिलिंग में अधिक समय लगेगा.
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