तेलंगाना में ओवैसी को कांग्रेस के साथ ले आयेंगे रेवंत रेड्डी? इस पॉलिटिक्स को समझिए

रूपक प्रियदर्शी

• 12:32 PM • 24 Jan 2024

कांग्रेस और AIMIM के साथ गठबंधन हो या न हो लेकिन रेवंत चाहेंगे कि ओवैसी के साथ रिलेशन खराब न रहें. क्योंकि कांग्रेस के पास बहुमत से सिर्फ 4 विधायक ज्यादा हैं. कहीं ऊंच-नीच हुई तो AIMIM के 7 विधायक रेवंत की मदद कर सकते हैं.

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Telangana CM Revanth Reddy: राजनीति एक मुलाकात होती है छुपाने के लिए. एक मुलाकात होती है दिखाने के लिए. छिपाने वाली मुलाकात तब होती है जब मामला कुछ पक्का नहीं होता. दिखाने वाली मुलाकात तब होती है जब कुछ मैसेज देना होता है. लंदन में तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और AIMIM के नंबर 2 नेता अकबरुद्दीन ओवैसी की मुलाकात यही दिखाने के लिए थी, जिसके फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर वायरल किए गए.

तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस और AIMIM एक-दूसरे के खिलाफ थे. लड़ाई इतनी तीखी थी कि असदुद्दीन ओवैसी ने रेवंत रेड्डी की RSS के जमाने वाली पैंट को चुनावी मुद्दा बना दिया था. अब चुनाव हो चुका. हार-जीत का फैसला होने के बाद पॉलिटिक्स में बड़े ट्विस्ट एंड टर्न दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले रेवंत रेड्डी और अकबरुद्दीन ओवैसी की लंदन वाली मुलाकात को अब आगामी चुनावी नजरिए से देखा जा रहा है.

रिवरफ्रंट के बहाने सियासी खेल!

रेवंत रेड्डी स्विट्जरलैंड के दावोस में तेलंगाना के लिए इन्वेस्टमेंट की तलाश करने गए थे. वहां गौतम अदाणी के साथ इन्वेस्टमेंट डील साइन हुई. दावोस से रेवंत पहुंच गए लंदन जहां उनका इंतजार कर रहे थे AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी. लंदन की मुलाकात का ऑफिशियल एजेंडा था हैदराबाद में 56 फीट लंबा मुसी नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट. रेवंत रेड्डी और अकबरुद्दीन ओवैसी ने पोर्ट ऑफ लंदन अथॉरिटी की उस एक्सपर्ट टीम के साथ चर्चा की जिसने लंदन की टेम्स नदी का कायाकल्प किया था. टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक रेवंत रेड्डी ने ही अकबरुद्दीन को लंदन वाली बैठक के लिए बुलाया था. मुसा नदी हैदराबाद में बहती है जो ओवैसियों का गढ़ है. हो सकता है कि इसलिए अकबरुद्दीन मुसी नदी प्रोजेक्ट में शामिल किए गए हों.

रेवंत ने जीत के बाद बनाया था प्रोटेम स्पीकर

लंदन की मुलाकात से पहले रेवंत रेड्डी और अकबरुद्दीन के बीच बढ़िया रिलेशन बनते दिखे थे. नई विधानसभा में विधायकों की शपथ के लिए प्रोटेम स्पीकर चुनने की बारी आई तो अकबरुद्दीन ओवैसी को चुना गया. विवादित कैरेक्टर होने के कारण अकबरुद्दीन को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर बीजेपी ने हल्ला भी मचाया लेकिन रेवंत रेड्डी शांत रही. नई सरकार के सीएम रेवंत रेड्डी काम के भारी बोझ के बाद भी अकबरुद्दीन से मिलने के लिए समय निकाल लेते हैं. 12 दिसंबर को भी उन्होंने अकबरुद्दीन ओवैसी के साथ ग्रेटर हैदराबाद के विकास के कामों पर सरकारी बैठक की थी.

रेवंत रेड्डी के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है AIMIM

हो सकता है कांग्रेस और AIMIM के साथ गठबंधन न हो लेकिन रेवंत रेड्डी चाहेंगे कि ओवैसी के साथ रिलेशन खराब न रहें. कांग्रेस के पास बहुमत से सिर्फ 4 विधायक ज्यादा हैं. कहीं ऊंच-नीच हुई तो AIMIM के 7 विधायक रेवंत रेड्डी की सरकार बचाने में मदद कर सकते हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में ओवैसी, बीजेपी-कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़े और केसीआर के साथ दोस्ताना फाइट की. मुसलमान बहुल वोटों की बदौलत हैदराबाद की 9 में से 7 सीटें जीत गए. AIMIM के 7 विधायक और मुसलमान वोटों पर पकड़ भी. अगर ओवैसी, कांग्रेस के साथ रहे तो रेवंत रेड्डी की सरकार भी सेफ रहेगी और कांग्रेस को मुसलमान वोटों का फायदा तेलंगाना से बाहर भी मिल सकता है.

बीजेपी की टीम है AIMIM: राहुल गांधी

हालांकि ये सब इतना आसान नहीं होने वाला. राहुल गांधी की राय ओवैसी के लिए अच्छी नहीं रही है. वो खुलेआम ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताते रहे हैं. कांग्रेस और AIMIM का ऐतिहासिक आंकड़ा भी छत्तीस का रहा है. 2012 में जब अकबरुद्दीन ओवैसी भड़काऊ बयानबाजी के लिए जेल भेजे गए थे तब संयुक्त आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी जिसके सीएम किरण कुमार रेड्डी हुआ करते थे. उस कांड के बाद से AIMIM के कांग्रेस के रिश्ते बहुत खराब होते गए.

INDIA अलायंस में बिखराव के बीच काम या सकते है ओवैसी

अलग-अलग राज्यों में इंडिया गठबंधन में बिखराव दिख रहा है. कांग्रेस की नजर गठबंधन में नए पार्टनर्स को जोड़ने के साथ-साथ मुसलमान वोटों पर भी है. ये भी चर्चा है कि कांग्रेस हैदराबाद की एक और पार्टी मजलिस बचाओ तहरीक(MBT) के संपर्क में है जो AIMIM की विरोधी मानी जाती है. AIMIM के खिलाफ भड़काते हुए उसने इंडिया गठबंधन के नेताओं राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, लालू यादव को चिट्ठी लिखकर कहा था कि पता लगाइए कि कहां-कहां AIMIM ने आप लोगों को डैमेज किया है. हालांकि MBT का राजनीतिक कद AIMIM जितना नहीं है लेकिन AIMIM से बात नहीं बनी तो मुसलमान वोटों को कांग्रेस की तरफ मोड़ने में मददगार हो सकती है MBT.

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