'40-50 लोगों की भीड़ मंच पर चढ़ गई और मेरी ओर बढ़ी', योगेंद्र यादव ने बताई अकोला में हंगामे की आपबीती 

अभिषेक

• 10:49 AM • 22 Oct 2024

Yogendra Yadav News: स्टेज पर खड़े होकर दर्जनों लोग चिल्ला रहे थे 'योगेन्द्र यादव, जवाब दो'. मैं बैठा हुआ मुस्कुरा रहा था, कह रहा था 'भाई बोलने दोगे तब जवाब दूंगा ना!' इसके बाद मुझे बोलने से रोकने के लिए 40-50 लोगों की भीड़ मंच पर चढ़ गई और मेरी ओर बढ़ी.'

Yogendra Yadav

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Yogendra Yadav News: बीते दिन भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक और चुनाव विशेषज्ञ योगेंद्र यादव महाराष्ट्र के शहर अकोला में थे. वहां वो 'लोकशाही सुरक्षा आनी आपलम मत' कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. इस कार्यक्रम में जब योगेंद्र यादव अपना वक्तव्य रख रहे थे तभी कुछ लोगों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और कार्यक्रम को बाधित कर दिया. जानकारी के मुताबिक वो लोग 'वंचित बहुजन आघाडी' के कार्यकर्ता थे जिन्होंने हंगामा और तोड़फोड़ की. पुलिस के बचाव के बाद योगेंद्र यादव वंचित के कार्यकर्ताओं के बीच से बाहर निकले. 

आपको बता दें कि, यह घटना अकोला जिला परिषद के कर्मचारी भवन में हुई. बैठक को संबोधित करते समय वंचित बहुजन आघाडी के कार्यकर्ताओं ने योगेंद्र यादव के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और मंच पर हंगामा किया. कार्यकर्ताओं ने सभा के दौरान कुर्सियां ​​तोड़ दीं और मंच से माइक व अन्य सामान फेंक दिया. योगेंद्र यादव को घेरकर उन्होंने 'जवाब दो, जवाब दो' के नारे लगाए. 

घटना पर योगेंद्र यादव ने क्या कहा?

योगेंद्र यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'आज महाराष्ट्र के अकोला में मुझ पर और भारत जोड़ो अभियान के साथियों पर जो हमला हुआ वह हर लोकतंत्र प्रेमी के लिए गंभीर चिंता का विषय है. भारत जोड़ो अभियान के विदर्भ दौरे के तहत हम 'संविधान की रक्षा और हमारा वोट' विषय पर सम्मेलन कर रहे थे. स्टेज पर खड़े होकर दर्जनों लोग चिल्ला रहे थे 'योगेन्द्र यादव, जवाब दो'. मैं बैठा हुआ मुस्कुरा रहा था, कह रहा था 'भाई बोलने दोगे तब जवाब दूंगा ना!' इसके बाद मुझे बोलने से रोकने के लिए 40-50 लोगों की भीड़ मंच पर चढ़ गई और मेरी ओर बढ़ी.'

'मैं वापिस अकोला आऊंगा'- योगेंद्र यादव 

'हम बैठे रहे और स्थानीय साथियों ने घेरा बनाकर हमारी रक्षा की. पुलिस के आने के बाद भी हुड़दंगाइयों का आक्रमण और तोड़ फोड़ जारी रहा. सभा वहीं समाप्त हो गई. पिछले 25 वर्षों में महाराष्ट्र के अनेक स्थानों पर व्याख्यान दिए हैं, लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. यह न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि संविधान और लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए भी दुखद है. यह घटना हमारे लोकतंत्र की रक्षा के प्रति समर्पण को और भी मजबूत करती है. जो भी मेरे बोलने से डरा हुआ है वो सुन लें- 'मैं वापिस अकोला आऊंगा'.

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