जयपुर हादसे के बाद अग्निकांड ने कई परिवारों को न भूल पाने वाला दर्द दे दिया. कई लोग ऐसे जल गए कि डेड बॉडी पहचान में ही नहीं आई. फिर कराना पड़ा DNA टेस्ट. इन्हीं शवों में अपनी पत्नी को एक शख्स खोज रहा था. दो बच्चों का खाना बनाकर ड्यूटी के लिए निकली थी पर वापस नहीं लौटीं. अस्पताल में पहुंच लोग और शवों की लिस्ट में नाम भी नहीं था. बस थी तो एक उम्मीद कि शायद पत्नी जिंदा हो और बस से कहीं उतर गई हो.
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मन नहीं माना तो पति कन्हैयालाल मीणा पत्नी की तलाश में एसएमएस अस्पताल पहुंचे. वहां आग में भुन चुके शवों को देखने लगे. शव पहचान में नहीं आ रहे थे. इसी बीच एक शव के पांवों में बिछिया दिखा. ये वही बिछिया थीं जिन्हें वो पत्नी को प्यार से खरीदकर लाए थे और वे हमेशा अपने पांव की ऊंगलियों में पहना करती थी. बिछिया देखते ही कन्हैयालाल का दिल टूट गया. पत्नी का शव सामने देख वे चीख-चीख कर रोने लगे.
स्लीपर बस में चढ़ी थीं अनीत मीणा
अपने दो बच्चों और पति के लिए खाना बनाकर राजस्थान पुलिस की कॉन्स्टेबल अनीत मीणा दूदू से स्लीपर बस में चढ़ीं. उन्हें ड्यूटी करने जयपुर पहुंचना था. पति उन्हें कन्हैयालाल बस में चढ़ाकर घर लौट गए. उन्हें क्या पता था कि वे जिस बस में पत्नी को चढ़ा रहे हैं वो मौत के मुंह में जा रही है. ये बस एलपीजी से टैंकर से निकली गैस और उसकी आग की चपेट में आ गई और जल गई.
कांपते पावों के साथ पहुंचे मुर्दाघर
मृतका के पति कन्हैयालाल मीणा ने बताया कि हादसे की सूचना के बाद वे पत्नी को ढूढ़ते एसएमएस अस्पताल की इमरजेंसी आए. जहां उनका कोई पता नहीं चला तो डरते-डरते अस्पताल की मोर्चरी पहुंचे. वहां एक महिला का शव देखा. ये शव सिर से पैर तक जला हुआ था. जब उनकी नजर पैरों में पहनी बिछिया पर गई तो सारी उम्मीदें टूट गईं. शव पत्नी अनीता का था. अनीता के दो छोटे बच्चे है, जिन्हें छोड़कर वो ड्यूटी पर निकली थीं, लेकिन वापस नहीं लौट सकीं.
कांस्टेबल अनिता मीणा चैनपुरा मेंआरएसी की बी कम्पनी चतुर्थ बटालियन में तैनात थीं. अनीता रोशनपुरा बनेडिया मौजमाबाद की रहने वाली थीं जो शुक्रवार सुबह ड्यूटी के लिए स्लीपर बस से दूदू से चैनपुरा जा रही थीं, तभी हादसे का शिकार हो गईं.
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