सरिस्का के लिए देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखने वाले अलवर की जल्द ही एक और पहचान होगी. अलवर में एनसीआर व राजस्थान का सबसे बड़ा चिड़ियाघर बनने जा रहा है. इसके लिए जगह चिन्हित हो चुकी है. इस चिड़ियाघर में 200 से ज्यादा प्रजातियां के जानवरों को रखा जाएगा. प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की भी चिड़ियाघर के लिए अनुमति मिल चुकी है. करीब 100 हेक्टेयर क्षेत्र की पहाड़ियों में फैले जंगल में इस चिड़ियाघर को बनाया जाएगा. नए साल में इस चिड़ियाघर का निर्माण कार्य शुरू हो सकता है.
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देश की राजधानी दिल्ली व प्रदेश की राजधानी जयपुर के बीच अलवर स्थित है. साल भर यहां देसी विदेशी पर्यटक सरिस्का घूमने के लिए आते हैं. सरिस्का का जंगल खूबसूरत है. इसलिए सरिस्का अपनी खास पहचान रखता है. अरावली की वादियां होने के कारण पर्यटक अलवर को पसंद करते हैं. ऐसे में अब जल्द ही अलवर की नई पहचान चिड़िया घर से होगी. अलवर के कटी घाटी स्थित बोटेनिकल गार्डन में एनसीआर व राजस्थान का सबसे बड़ा चिड़ियाघर बनने जा रहा है. इस चिड़ियाघर में शेर, चीता, टाइगर, गोरिला, भालू, बंदर, खरगोश, हिरण, बारहसिंघा चिंपांजी, लंगूर, जिराफ, मगरमच्छ, हिप्पोपोटामस, कछुआ सहित सभी 200 प्रजातियों के वन्य जीव मौजूद रहेंगे. वन विभाग की तरफ से चिड़ियाघर बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा गया था. प्रदेश सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूर करते हुए केंद्र सरकार को भेजा था. केंद्र सरकार की भी इस प्रस्ताव पर मोहर लग चुकी है.
NCR का सबसे बड़ा चिड़ियाघर बनेगा
चिड़ियाघर के लिए 65 हेक्टेयर जमीन वन विभाग के पास है. आसपास की कुछ और जमीन को इसमें शामिल करने की तैयारी चल रही है. इस हिसाब से गरीब 100 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में यह चिड़ियाघर फैला हुआ होगा. दिल्ली जयपुर के आसपास शहरों में बने चिड़ियाघर छोटे हैं. ऐसे में अलवर का चिड़ियाघर राजस्थान ही नहीं दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों में सबसे बड़ा होगा. जमीन मिलने के बाद 2 साल के अंदर चिड़ियाघर बनकर तैयार होगा. वन विभाग की तरफ से यह चिड़ियाघर तैयार किया जाएगा वन विभाग के डीएफओ राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि 25 करोड़ रुपए की लागत से चिड़ियाघर बनाया जाएगा. केंद्र सरकार की तरफ से कुछ सुझाव दिए गए हैं. उन पर काम चल रहा है.
सर्व किया जा रहा
जमीन मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा. जिला प्रशासन की तरफ से इस जमीन का सर्वे कराया गया है. डीएफओ ने बताया कि इस क्षेत्र के 30 प्रतिशत हिस्से में चिड़ियाघर बनेगा. जबकि 70 प्रतिशत हिस्से को ग्रीन बेल्ट के रूप में तैयार किया जाएगा. इसमें लोग घूमने के साथ सफारी का आनंद भी ले सकेंगे. इससे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. तो अलवर में पर्यटन बढ़ेगा. चिड़ियाघर में घूमने के लिए प्रतिदिन व महीने हजारों लोग आएंगे. इससे यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा.
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