Barmer: जब से IAS टीना डाबी ने बाड़मेर जिला कटेक्टर का पदभार संभाला है, तब से वह लगातार सुर्खियों में हैं. अब चर्चा में रहने की वजह है एक बच्चा. कलक्टर टीना डाबी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जन्म जयंती की पूर्व संध्या पर 'अहिंसा सर्किल जीर्णोद्धार' का अनावरण फुटपाथ पर जिंदगी बसर करने वाले एक बच्चे से करवाया. जिसके बाद उसे सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं.
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कलक्टर टीना डाबी पिछले सप्ताह भर से बाड़मेर में 'नवो बाड़मेर' अभियान के तहत स्वच्छता अभियान चला रही है. जिसमें बदहाल चौराहों, पार्क, मुख्य मार्गों समेत कई सार्वजनिक जगहों की स्थिति सुधारने के लिए विभिन्न चौराहों, मार्गों, पार्क और सार्वजनिक जगहों को MOU साइन कर भामाशाहों को गोद दिया है. इन्हीं चौराहों में से एक है..रेलवे स्टेशन के पास स्थित अहिंसा सर्किल. अहिंसा सर्किल को भामाशाह स्व. तनसिंह चौहान के दोनों पुत्रों जोगेंद्रसिंह और राजेंद्रसिंह ने गोद ले रखा है. जिला कलक्टर टीना डाबी की प्रेरणा से लगातार पिछले 5 दिनों से इस बदहाल चौराहे का काम चल रहा था और आज इस चौराहे की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है.
दो भाईयों ने बदली अंहिसा सर्किल की तस्वीर
भामाशाह जोगेंद्रसिंह और राजेंद्रसिंह दोनों भाइयों ने करीब 10 से 12 लाख रुपए खर्च कर शहर के हृदय स्थल पर स्थित इस अहिंसा सर्किल का जीर्णोद्धार करवाया. चौराहे पर लाल और हरी लाइटिंग के साथ जगमगाती रोशनी के साथ चलते फव्वारें, फव्वारों से बहता कलकल पानी और वॉटर टैंक से लगाकर चौराहे की बाउंड्री और डेकोरेशन. चौराहे का पूरा स्वरूप ही बदल गया और जीर्णोद्धार के मौके ओर शहर के सैकड़ों लोग इसके साक्षी भी बने.
राह चलते बच्चे से करवाया कलक्टर ने अनावरण
जैसे ही जिला कलक्टर टीना डाबी जीर्णोद्धार कार्यक्रम ने पहुंची तो उन्होंने लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए लोगों का अभिवादन किया. अचानक उनकी नजर एक बच्चे और पड़ी तो उसे बुलाया भी. लेकिन, शायद बच्चा संकोच के कारण आगे नहीं आया. दूसरे बच्चे को बुलाया तो वो कलक्टर टीना डाबी के कहने पर आगे आया. उसके साथ एक और भी बच्चा था. पास खड़ी दो महिलाओं को भी जिला कलक्टर ने अपने पास बुलाया. जिला कलक्टर टीना डाबी ने राह चलते और फुटपाथ पर जिंदगी बसर करने वाले बच्चे से चौराहे का अनावरण करवाया और खुद अनावरण पर तालियां बजती नजर आई. इसके बाद जिला कलक्टर टीना डाबी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर भामाशाह परिवार के कार्य की सराहना करते हुए उनकी हौसला अफजाई की.
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