Dausa Borewell: राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में हुए एक दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया. 5 साल का आर्यन, जो खेलते-खेलते खुले बोरवेल में गिर गया था, उसे 56 घंटे की कोशिशों के बाद भी बचाया नहीं जा सका. प्रशासन और रेस्क्यू टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन बच्चे को सुरक्षित निकालने में नाकाम रहे. 9 दिसंबर की दोपहर से शुरू हुआ यह ऑपरेशन 11 दिसंबर को दुखद अंत के साथ खत्म हुआ.
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56 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्यन की मौत
घटना 9 दिसंबर को दोपहर करीब 3 बजे की है, जब आर्यन अपनी मां के पास खेत में खेल रहा था और अचानक खुले बोरवेल में गिर गया. करीब 125 फीट गहरे बोरवेल से बच्चे को बचाने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमों ने लगातार प्रयास किया. पाइलिंग मशीन की मदद से बोरवेल के पास 150 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया और एक पैरेलल टनल बनाने की कोशिश की गई, लेकिन मिट्टी धंसने के कारण ऑपरेशन बार-बार बाधित होता रहा.
बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी, लेकिन 9 दिसंबर की रात 2 बजे के बाद से आर्यन के मूवमेंट का कोई संकेत नहीं मिला. आखिरकार प्रशासन ने बच्चे को हुक के सहारे बाहर निकालने की अनुमति दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
मां-पिता की हालत बिगड़ी
आर्यन के बाहर आने के बाद उसे तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. बेटे की मौत की खबर से माता-पिता की तबीयत बिगड़ गई. आर्यन की मां का बीपी अचानक बढ़ गया, और पिता ने दो दिनों से कुछ भी नहीं खाया-पिया था. गांव के लोगों में शोक का माहौल है, और हर कोई इस दर्दनाक घटना को लेकर गमगीन है.
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खुले बोरवेल बने जानलेवा
घटना के बाद पता चला कि बोरवेल करीब तीन साल पहले खोदा गया था, लेकिन इसमें मोटर फंस जाने के कारण इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था. इसे खुला छोड़ दिया गया, जिससे यह हादसा हुआ. यह कोई पहला मामला नहीं है जब खुले बोरवेल के कारण जान गई हो. प्रशासन की लापरवाही और इन बोरवेलों पर कार्रवाई न होना ऐसे हादसों का कारण बनते हैं.
बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. खुले बोरवेल को लेकर प्रशासनिक सख्ती और जागरूकता की कमी से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं. आर्यन की मौत ने पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इन खतरों को रोकने के लिए कब ठोस कदम उठाए जाएंगे.
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