Rajasthan: दौसा उपचुनाव में कांग्रेस या BJP कौन सी पार्टी मारेगी बाजी, जातीय समीकरण कर रहे ये इशारा

ललित यादव

07 Nov 2024 (अपडेटेड: Nov 7 2024 2:35 PM)

Rajasthan: राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. वहीं दौसा सीट हॉटसीट बन गई है. यहां मुकाबला सचिन पायलट बनाम किरोड़ीलाल मीणा के रूप में देखा जा रहा है. सचिन पायलट दौसा में अभी तक करीब 25 सभाएं कर चुके हैं, वहीं किरोड़ीलाल मीणा दौसा में डेरा जमा कर बैठे हुए हैं.

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Rajasthan: राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. वहीं दौसा सीट हॉटसीट बन गई है. यहां मुकाबला सचिन पायलट बनाम किरोड़ीलाल मीणा के रूप में देखा जा रहा है. सचिन पायलट दौसा में अभी तक करीब 25 सभाएं कर चुके हैं, वहीं किरोड़ीलाल मीणा दौसा में डेरा जमा कर बैठे हुए हैं. इस बार दौसा में उपचु्नाव में रोमाचंक मुकाबला देखने को मिल रहा है. 

बीजेपी ने यहां से कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ता डीसी बैरवा को मैदान में उतारा है. जहां एक ओर जगमोहन के लिए उनके भाई किरोड़ी लाल सहित राज्य के एक दर्जन मंत्री चुनाव प्रचार में जुटे हैं, वहीं डीसी बैरवा का समर्थन मुरारी लाल मीणा कर रहे हैं. यह उपचुनाव मुरारी लाल मीणा के सांसद बनने के कारण हो रहा है.

एससी और एसटी वोटों पर जोर

बीजेपी ने इस बार कांग्रेस के पारंपरिक एसटी वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति के तहत जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले बीजेपी यहां ब्राह्मण चेहरा शंकरलाल शर्मा को मैदान में उतारती रही है. कांग्रेस आमतौर पर एसटी समुदाय के मीणा समाज को टिकट देती थी, लेकिन इस बार किरोड़ी लाल मीणा की एसटी समाज में पकड़ और उनके भाई को टिकट मिलने के कारण कांग्रेस ने दलित चेहरे के रूप में डीसी बैरवा को उतारा है.

ब्राह्मण वोट फैक्टर

इस सीट पर सामान्य वर्ग, विशेषकर ब्राह्मणों का वोट बैंक लगभग 60 हजार है, जो पारंपरिक रूप से बीजेपी समर्थक रहा है. हालांकि, इस बार सामान्य वर्ग के लोगों में टिकट नहीं मिलने से नाराजगी है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद रोजाना ब्राह्मण नेताओं से बात कर इस नाराजगी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि ब्राह्मणों की संख्या अधिक होने से उनकी नाराजगी भी महत्वपूर्ण है.

बीजेपी की चुनावी रणनीति

बीजेपी ने ब्राह्मणों की जगह एसटी उम्मीदवार को टिकट देने का निर्णय लिया है, ताकि पायलट के मीणा-गुर्जर गठबंधन को चुनौती दी जा सके. इसके साथ ही बीजेपी की रणनीति दलित और मुस्लिम वोटों में बिखराव करने की है, जो फिलहाल सफल होती दिख रही है. मीणा समाज में किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिष्ठा के चलते नाराजगी दूर करने की भी कोशिश की जा रही है.

उम्मीदवारों की छवि और चुनाव प्रचार

चुनावी मैदान में जगमोहन मीणा अपने सौम्य व्यक्तित्व और विकास के मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं. वे सरकार की 11 महीने की उपलब्धियां गिनाते हुए, दौसा में ईआरसीपी का पानी लाने और इसे एजुकेशन हब बनाने की बात कर जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.

दूसरी ओर, कांग्रेस बीजेपी सरकार के 11 महीने के कामकाज की कमियों को उभारते हुए प्रचार कर रही है. डीसी बैरवा, सचिन पायलट के समर्थन और दलित, गुर्जर समुदाय के साथ अन्य पिछड़ी जातियों के वोट पर भरोसा कर रहे हैं. वे खुद को स्थानीय बताते हुए और सरकार के कार्यकाल की सफलता को जनता के सामने रख रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी प्रत्याशी जगमोहन के खिलाफ अब तक कोई आरोप-प्रत्यारोप सामने नहीं आया है.

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