Rajasthan: राजस्थान में जोधपुर की ADM अधिकारी प्रियंका बिश्नोई की मौत के बाद बवाल मचा हुआ है. इसकी पीछे का कारण उनके इलाज में हॉस्पिटल की लापरवाही बताई जा रही है. आरएएस अधिकारी प्रियंका बिश्नोई का बुधवार को अहमदाबाद स्थित एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया. परिजनों का आरोप है कि वसुंधरा हॉस्पिटल ने इलाज में लापरवाही बरती, जिससे प्रियंका की जान चली गई.
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परिजनों का कहना है कि पुलिस ने अभी तक अस्पताल के खिलाफ मामला तक दर्ज नहीं किया है. प्रियंका की मौत पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दुख प्रकट किया है. इस मामले में विश्नोई समाज के सैकड़ों लोग सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. साथ ही निजी अस्पताल संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
कब क्या-क्या हुआ
- 5 सितंबर को जोधपुर के वसुंधरा हॉस्पिटल में प्रियंका भर्ती हुई.
- 6 सितंबर को वसुंधरा हॉस्पिटल में बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के बाद होश में नहीं आई.
- 7 सितंबर को अहमदाबाद के सिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.
- 18 सितंबर की रात अहमदाबाद के सिम्स हॉस्पिटल में मौत हुई
- 19 सितंबर को शव का जोधपुर एम्स में पोस्टमार्टम हुआ.
- 19 सितंबर को फलोदी में शाम अंतिम संस्कार होगा.
निजी अस्पताल का पक्ष आया सामने
बिश्नोई समाज द्वारा प्रियंका बिश्नोई के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोपों पर निजी अस्पताल वसुंधरा हॉस्पिटल के निदेशक डॉ संजय मकवाना ने सभी आरोपों को खारिज किया है. डॉ. मकवाना ने कहा कि किसी तरह के एनेस्थीसिया और ब्लीडिंग की बात गलत है, प्रियंका का हमारे यहां ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा था. उनकी तबियत अहमदाबाद ले जाने के दौरान बिगड़ी थी.
चर्चाओं में कैसे आईं थीं
प्रियंका बीते दिनों एक कार्यक्रम में मोटिवेशनल स्पीच के बाद वो चर्चा में आई थी. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. इस मोटिवेशनल स्पीच में प्रियंका ने अपने संघर्ष से सफलता की कहानी लोगों के सामने रखी थी. उन्होंने बताया था कि जब वो कक्षा आठ में थी तो एक प्रतियोगिता में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया था और उसे दौरान उपखंड अधिकारी से सम्मानित होने के बाद से उन्होंने भी एसडीम बनने का फैसला लिया. उसके बाद वो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती चली गई.
ये है प्रियंका की मोटिवेशन स्टोरी
जोधपुर में कुछ दिन पहले ही समराथल फाउंडेशन का एक कार्यक्रम था. उसमें बतौर अतिथि प्रियंका बिश्नोई शामिल हुई. इस दौरान वहां मौजूद सैकड़ों लोगों के सामने उन्होंने अपने संघर्ष से सफलता की कहानी लोगों को सुनाई. उन्होंने बताया कि जब वो आठवीं कक्षा में थी तो एक प्रतियोगिता में उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया था. उस दौरान उपखंड अधिकारी ने उनको सम्मानित किया. अधिकारी लाल बत्ती की गाड़ी में आए थे. यह देखकर प्रियंका उनसे काफी इंस्पायर हुई.
एसडीएम कार्यालय गई तो मोटिवेट हुई
उसके बाद दसवीं कक्षा में फिर से उसे जिला कलेक्टर के हाथों सम्मानित होने का मौका मिला. उसके बाद प्रियंका ने विज्ञान विषय लेकर इंजीनियर बनने का फैसला लिया. उसे समय परिवार और समाज के लोगों के बहुत से सवाल उठाए लेकिन उनके पिता ढाल की तरह हमेशा प्रियंका के साथ खड़े रहे. प्रियंका ने बैंक की तैयारी शुरू की. बैंक की परीक्षा के लिए उनको जाति प्रमाण पत्र बनवाना पड़ा. ऐसे में फिर से प्रियंका को एक बार एसडीएम कार्यालय जाना पड़ा और वहां कार्यालय के बाहर लोगों की भीड़ देखकर लगा कि इस पद के लिए कोशिश करनी चाहिए. इसके बाद उन्होंने अपने पिता को बताया और परिवार की उनको सहमति मिली.
2016 में हुआ RAS में चयन
प्रियंका पढ़ाई के लिए जयपुर में रहने लगी और वहां तैयारी शुरू कर दी. साल 2013 की आरएएस परीक्षा परिणाम में प्रियंका बिश्नोई ने 77वीं रैंक हासिल की और राजस्थान लेखा सेवा में उनको नौकरी मिली. फिर दोबारा से 2016 में उन्होंने आरएएस परीक्षा दी व उनका चयन हुआ. 2017 में वो डूंगरपुर में प्रोविजनल पोस्टिंग पर रहीं. 2019 में एसडीएम चूरू का चार्ज मिला. 2022 में विजयनगर एसडीएम और 2024 में एसीएस यानी असिस्टेंट कलेक्टर जोधपुर रही. हाल ही में प्रियंका का ट्रांसफर जोधपुर नगर निगम में प्रयुक्त पद पर हुआ था लेकिन बीमारी के कारण वो कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाई थी.
परिवार कर रहा कार्रवाई की मांग
प्रियंका की यह मोटिवेशनल स्पीच जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. प्रियंका के निधन के बाद जब सोशल मीडिया पर उनकी मौत की खबर लोगों को मिली तो उसके बाद एक बार फिर से सोशल मीडिया पर प्रियंका की फोटो के साथ लोगों के मैसेज आना शुरू हो गए. लोगों ने कहा कि आज भी कानों में उनके भाषण गूंज रहे हैं.बिश्नोई समाज के लोग इस मामले में जोधपुर के निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
इनपुट: हिमांशु और अशोक शर्मा
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