Kota Medical Collage News: मेडिकल कॉलेज कोटा के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में एक मरीज के अटेंडेड को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने और चीरा लगा देने का मामला सामने आया है, हालांकि, समय रहते गलती पकड़ में आ गई, जिससे मरीज का ऑपरेशन नहीं हुआ, अब इस घटनाक्रम के बाद अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है, इस मामले के सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने जांच करने की बात कह रहे हैं, तीन डॉक्टरों की जांच कमेटी गठित कि है, यह घटनाक्रम 12 अप्रैल को हुआ है.
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मेडिकल कॉलेज अस्पताल की प्रिंसिपल डॉक्टर संगीता सक्सेना ने बताया, 'मरीज की जगह दूसरे मरीज के अटेंडेंट को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने के संबंध की सूचना मिली है, इस मामले में तीन मेंबर की जांच कमेटी गठित कर दी है, 2 दिन में कमेटी जांच सौंपेगी. इसके बाद ही मामला सामने आएगा कि क्या पूरा प्रकरण रहा है.'
पिता बोल नहीं पाते
पीड़ित मनीष ने बताया कि उसका एक्सीडेंट हुआ था उसके पैर का ऑपरेशन था, पिता साथ आए थे. मनीष को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और पिता बाहर बैठे थे. ऑपरेशन के बाद मनीष को डॉक्टर बाहर लेकर आए तो मनीष को पिता नहीं दिखे बाद में पता लगा कि पिता को भी अंदर ले जाकर चीरा लगा दिया, मनीष का कहना है कि पिता बोल नहीं पाते उनको पैरालाइज्ड है और वह बोल भी नहीं पाते हैं.
ऐसे हुई गफलत
मामले के अनुसार अस्पताल में कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट में एक मरीज के हाथ में डायलिसिस फिस्टुला बनाना था, यह हाथ में चीरा लगाकर नसों को जोड़कर बनाया जाता है, ताकि मरीज की डायलिसिस आसानी से हो सके, इसी नाम का एक अटेंडेंट अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठा हुआ था, जिसके बेटे का ऑपरेशन प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट कर रहा था.
ऑपरेशन थिएटर के बाहर स्टाफ ने आकर जैसे ही आवाज दी, तब इस जगदीश नाम के अटेंडेंट ने हाथ ऊंचा कर दिया, इसके बाद स्टाफ उसे अंदर ले गया और ऑपरेशन थिएटर पर टेबल पर लेटा दिया, उसके हाथ में फिस्टुला बनाने के लिए चीरा भी लगा दिया गया, इसी दौरान उसके बेटे का इलाज कर रहे डॉक्टर पहुंच गए, उन्होंने देखा कि यह तो उनके मरीज का अटेंडेंट है, इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ और हड़कंप मच गया, इस घटना के बाद इस मरीज के वापस टांके लगाए गए, उसे ओटी से वापस उसके बेटे के वार्ड में भेज दिया, बाद में जिस मरीज का डायलिसिस फिस्टुला बना था, उसका फिस्टुला बनाया गया, जिसे 13 तारीख को डिस्चार्ज भी कर दिया गया है.
अटेंडर के पैरालाइज्ड होने से समस्या
जिस अटेंडर के साथ यह घटना हुई है, वह पैरालाइज्ड है, वह ठीक से बोल नहीं पाता है, इसीलिए जब उससे पूछा गया तो वह कुछ भी नहीं बोल पाया और डॉक्टर ने भी प्रोसीजर शुरू कर दिया, दूसरी तरफ ऑपरेशन थिएटर में भी प्रोसिजर फॉलो नहीं हुआ है, ओटी में मरीज को ले जाने के पहले उसे ओटी की ड्रेस पहनाई जाती है, लेकिन इस मरीज ने ड्रेस भी नहीं पहनी हुई थी, दूसरी तरफ हाथ में डायलिसिस फिस्टुला बनाने के लिए बाल हटाए जाते हैं और सफाई की जाती है, वह भी नहीं हुई थी, इसके बावजूद भी डॉक्टर ने ध्यान नहीं दिया, हालांकि, यह काफी छोटा प्रोसिजर था, इसलिए डॉक्टर ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया,
3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित
कोटा मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर संगीता सक्सेना ने बताया- घटना के बारे में पता लगा है. परिजनों ने हॉस्पिटल अधीक्षक को शिकायत दी थी. मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित की है. जांच के बाद ही असलियत का पता लगेगा कि आखिर यह कैसे हुआ.
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