महाराणा प्रताप के वंशज अरविंद सिंह मेवाड़ का 80 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. उनका इलाज सिटी पैलेस में ही चल रहा था. उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस के शंभू निवास में रहते थे. यहीं उनका इलाज चल रहा था. उनका अंतिम संस्कार सोमवार को होगा. उनके का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए सोमवार सुबह 7 बजे सिटी पैलेस रखा जाएगा.
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दिवंगत अरविंद सिंह मेवाड़ की अंतिम यात्रा सुबह 11 बजे निकलेगी. ये यात्रा शंभू पैलेस से शुरू होकर बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, देहली गेट से होकर महासतिया पहुंचेगी. यहीं अंतिम संस्कार होगा.
अरविंद सिंह ने अजमेर के जाने-माने मेयो कॉलेज से अपनी स्कूली पढ़ाई की पूरी की थी. इसके बाद उदयपुर में महाराणा भूपाल कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. उन्होंने यूके के सेंट एल्बंस मेट्रोपॉलिटन कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की. अरविंद सिंह मेवाड़ के एक बेटे लक्ष्यराज सिंह और दो बेटियां भार्गवी और पद्मजा हैं.
अरविंद सिंह मेवाड़ महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और सुशीला कुमारी मेवाड़ के छोटे बेटे थे. इनका जन्म 13 दिसंबर 1944 को हुआ था. इनका विवाह विजयराज कुमारी से हुआ था. इनके बड़े भाई महेन्द्र सिंह मेवाड़ का निधन 10 नवंबर 2024 को हुआ था. इनके निधन के बाद इनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राज्याभिषेक को लेकर विवाद हो गया. ये विवाद कोई नया नहीं है. 40 साल से बड़े भाई महेंद्र सिंह और छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के साथ संपत्ति और महाराणा बनने का विवाद चल रहा है. इनके पिता भगवत सिंह थे जो ऑफिशियली मेवाड़ के अंतिम महाराणा माने गए.
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अंतिम राणा ने छोटे बेट के नाम कर दी वसीयत
मेवाड़ के आखिरी महाराणा भगवंत सिंह ने वसीयत में ट्रस्ट की जिम्मेदारी छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को दे दी थी. बड़े बेटे महेंद्र सिंह को उन्होंने ट्रस्ट से दूर ही रखा था. भगवंत सिंह के निधन के बाद अरविंद सिंह मेवाड़ ट्रस्ट के चेयरमैन और राजघराने की संपत्तियों के सर्वेसर्वा हो गए. इसके बाद अरविंद सिंह के बेटे लक्ष्यराज सिंह के हाथ में ट्रस्ट का सारा कंट्रोल चला गया.
आखिरी महाराणा भगवंत सिंह के निधन के बाद उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह ने राजतिलक कर खुद को महाराणा घोषित कर दिया. वहीं अरविंद सिंह ने पिता की वो वसीयत दिखाकर खुद के राणा होने का दावा कर दिया. यहीं से संपत्ति विवाद शुरू हुआ. इसकी पुनरावृत्ति तब हो गई जब महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वेंद्र सिंह का राजतिलक किया गया.
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