धार्मिक मान्यताओं के लिए मशहूर उज्जैन में 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल मंदिर स्थित है. बाबा महाकाल के इस मंदिर के दर्शन करने दूर-दूर से हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां दूषण नामक राक्षस का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की थी, जिसके बाद भक्तों के निवेदन के बाद भोले बाबा यहां विराजमान हुए थे. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है. मान्यता यह भी है कि महाकाल के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
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आइए जानते हैं मंदिर से जुड़े इन 3 रहस्यों के बारे में
मंदिर में पिलाई जाती है भगवान शिव को शराब
मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव तामसिक प्रवृति के देवता माने जाते हैं. इसलिए उन्हें मदिरा यानी शराब का भोग लगाया जाता है. इस मंदिर में शराब चढ़ाने का प्रचलन सदियों से जारी है. हालांकि, आज तक ये कोई भी नहीं जानता कि भगवान शिव को मदिरा पिलाने का रिवाज कब से आया और आखिर इतनी शराब जो भगवान शिव पीते हैं वो जाती कहां है.
महाकाल मंदिर में आखिर क्यों रात नहीं गुजारता कोई राजा या मंत्री
ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य के समय से ही इस मंदिर के पास और शहर में कोई राजा या मंत्री रात नहीं गुजारता है. लोगों के मुताबिक एक लोक कथा के अनुसार भगवान महाकाल ही इस शहर के राजा हैं और उनके अलावा कोई और राजा यहां नहीं रह सकता है.
भस्म आरती को लेकर भी है एक रहस्य
आपको बता दें, बारह ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ही भस्म आरती की जाती है. शिवपुराण के अनुसार कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बैर के पेड़ की लकड़ियों को जलाकर भस्म तैयार किया जाता है. फिर मंत्र-जप करते हुए भस्म को शुद्ध किया जाता है. और इसके बाद इस भस्म से महाकाल की आरती की जाती है.
महाकालेश्वर मंदिर पहुंचना है बेहद आसान
ट्रेन- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई जैसे शहर से आप ट्रेन लेकर उज्जैन सिटी जंक्शन या विक्रम नगर रेलवे स्टेशन पहुंचकर यहां से लोकल बस या टैक्सी लेकर महाकालेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं.
हवाई सफर- अगर आप हवाई सफर से पहुंचना चाहते हैं तो महारानी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट उज्जैन का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है. फिर यहां से आप लोकल टैक्सी या बस लेकर जा सकते हैं.
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