नैनीताल, उत्तराखंड में स्थित नैना देवी मंदिर, माँ दुर्गा का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता से भी परिपूर्ण है. यहां स्थित झील आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें स्नान करने से कैलाश मानसरोवर का पुण्य मिलता है.
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मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने सती के पति भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था. सती अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ कुंड में समा गईं. भगवान शिव ने क्रोध में सती के मृत शरीर को उठा लिया और तांडव मचाने लगे. भगवान विष्णु ने शांत करने के लिए सती के शरीर के अंगों को अलग-अलग कर दिया. कहा जाता है कि सती की आँखें नैनीताल में गिरी थीं, जहाँ आज नैना देवी मंदिर स्थित है.
मंदिर का महत्व
नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, और माँ दुर्गा के शांत स्वरूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर में माँ नैना देवी की मूर्ति है, जो संगमरमर से बनी है. मंदिर परिसर में भगवान गणेश, भगवान शिव, और अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियाँ हैं. माँ नैना देवी के नाम पर यहां स्थित झील और शहर का नाम पड़ा है. प्रत्येक साल नंदा अष्टमी के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. पर्यटक दूर-दूर से माँ का आशीर्वाद लेने यहां आते हैं. मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों को नेत्र रोग से मुक्ति मिल जाती है.
मंदिर तक कैसे पहुंचें?
नैनीताल, दिल्ली, लखनऊ, और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. हवाई मार्ग से, पंतनगर हवाई अड्डा नैनीताल का निकटतम हवाई अड्डा है. रेल मार्ग से, काठगोदाम रेलवे स्टेशन नैनीताल का निकटतम रेलवे स्टेशन है. सड़क मार्ग से, नैनीताल बसों और टैक्सियों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है.
नैना देवी मंदिर के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें नैनी झील, टिफिन टॉप, स्नो व्यू पॉइंट, और नंदा देवी मंदिर शामिल हैं.
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