उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित विंध्याचल मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यहां सालोंभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से आए श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर यहाँ का प्रमुख मंदिर है जो की एक शक्तिपीठ भी है. इसके आलावा विंध्याचल में आप अष्टभुजी देवी मंदिर, काली खोह मंदिर, सीता कुण्ड, विन्ध्याचल के गंगाघाट के भी दर्शन कर सकते हैं.
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कैसे हुआ माँ विंध्यवासिनी का अवतरण
वैसे तो दूसरे शक्ति पीठों में माता सती के कोई न कोई अंग गिरे थे जिसके बाद वहाँ शक्तिपीठ स्थापित हुए लेकिन यह एक पूर्ण पीठ है क्योंकि इसे माता शक्ति ने स्वयं अपने रहने का स्थान बनाया.
विंध्याचल मंदिर खुलने का समय
विंध्याचल मंदिर सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम को 1:30 से 7:15 बजे तक और रात में 8:15 बजे से 10:30 बजे तक खुला रहता है.
किस मौसम में विंध्याचल के लिए करें प्लान
विंध्याचल में सर्दी का मौसम अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में शुरू होता है और मार्च तक जारी रहता है. उत्तर प्रदेश के इस हिस्से की यात्रा के लिए यह सबसे अच्छा समय है और साल के इस समय में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. इस समय, आप विंध्य पर्वतमाला के मनमोहक दृश्य देख सकते हैं और इस स्थान के खूबसूरत ठंडे मौसम का आनंद ले सकते हैं.
विंध्याचल में घूमने लायक दर्शनीय स्थल
अष्टभुजा मंदिर
मां विंध्यवासिनी मंदिर से दो किलोमीटर दूरी पर मां अष्टभुजा का मंदिर स्थित है. विंध्य पर्वत के 300 फुट ऊंचाई पर स्थित मां अष्टभुजा मंदिर पर जाने के लिए 160 पत्थर की सीढ़ियां बनी हुई है. मां स्वरस्वती रूप में स्थित मां अष्टभुजा के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है.
काली खोह मंदिर
काली खोह मंदिर मां विंध्यवासिनी मंदिर से लगभग 2 किमी दूर है. यह एक जंगली इलाके में स्थित है जो काफी सुनसान और बिना ज्यादा भीड़-भाड़ वाला है. इसके अलावा श्रद्धालु यहां सीता कुंड के दर्शन भी कर सकते हैं. श्रद्धालु यहां गंगाघाट पर स्नान और दर्शन कर सकते हैं.
कैसे पहुंचे विंध्याचल?
आप इस मंदिर के दर्शन के लिए सड़क, रेलवे और हवाई मार्ग से जा सकते हैं. यहां का नजदीकी एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर वाराणसी में स्थित है. यह कस्बा रेलवे मार्ग और सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. यहां रेलवे स्टेशन पर तमाम रूटों की ट्रेनें रुकती हैं. आप मिर्जापुर, वाराणसी और प्रयागराज से बेहद आसानी से इस मंदिर के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं.
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