भारत सरकार ने आधार कार्ड के इस्तेमाल को और आसान, सुरक्षित और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को एक नए आधार ऐप को लॉन्च किया, जिसमें फेस आईडी ऑथेंटिकेशन की सुविधा दी गई है. इस ऐप के जरिए अब यूजर्स को अपने आधार कार्ड की फिजिकल कॉपी या फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी. यह ऐप डिजिटल वेरिफिकेशन को बढ़ावा देगा और यूजर्स को अपनी पर्सनल जानकारी पर पूरा कंट्रोल देगा.
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क्या है नया आधार ऐप?
नए आधार ऐप को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने डेवलप किया है और यह अभी Beta टेस्टिंग फेज में है. इस ऐप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फेस आईडी ऑथेंटिकेशन को सपोर्ट करता है. इसके अलावा, यूजर्स क्यूआर कोड स्कैन करके या किसी रिक्वेस्टिंग एप्लिकेशन के जरिए अपनी आधार डिटेल्स को डिजिटल रूप से वेरिफाई और शेयर कर सकते हैं.
अश्विनी वैष्णव ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर इसकी घोषणा करते हुए एक तस्वीर शेयर की, जिसमें एक व्यक्ति अपने स्मार्टफोन से क्यूआर कोड स्कैन कर आधार डेटा शेयर करता नजर आ रहा है.
मुख्य फीचर्स और फायदे
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐप के कई फीचर्स को हाइलाइट किया, जो इसे पहले से ज्यादा सुरक्षित और यूजर-फ्रेंडली बनाते हैं:
फेस आईडी ऑथेंटिकेशन: अब यूजर्स अपने चेहरे की पहचान के जरिए आधार वेरिफिकेशन कर सकते हैं. यह प्रक्रिया UPI पेमेंट जितनी आसान बताई जा रही है.
नो फिजिकल कार्ड, नो फोटोकॉपी: इस ऐप के जरिए यूजर्स को अब आधार कार्ड की फिजिकल कॉपी या स्कैन कॉपी देने की जरूरत नहीं होगी. होटल रिसेप्शन, दुकानों या ट्रैवल के दौरान आधार की फोटोकॉपी देने की पुरानी प्रथा अब खत्म हो जाएगी.
प्राइवेसी पर जोर: यूजर्स को यह कंट्रोल मिलेगा कि वे अपनी कौन सी जानकारी शेयर करना चाहते हैं. ऐप में डेटा शेयरिंग सिर्फ यूजर की सहमति से ही होगी, जिससे प्राइवेसी बनी रहेगी.
डेटा सिक्योरिटी: यह ऐप 100% डिजिटल और सिक्योर है. UIDAI ने दावा किया है कि यह ऐप आधार डेटा के दुरुपयोग, लीक और फर्जीवाड़े (जैसे फोटोशॉपिंग) को रोकने में सक्षम है.
पेपरलेस गवर्नेंस की दिशा में कदम: यह ऐप डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत पेपरलेस गवर्नेंस को बढ़ावा देगा. अब आधार से जुड़े सभी काम डिजिटल तरीके से हो सकेंगे.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?
अश्विनी वैष्णव ने इस ऐप को नई दिल्ली में आयोजित तीसरे आधार संवाद कार्यक्रम में लॉन्च किया. इस इवेंट में 750 से ज्यादा केंद्रीय और राज्य सरकार के अधिकारी और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स शामिल हुए. इस दिन भर के आयोजन का मकसद आधार के जरिए सर्विस डिलीवरी को और बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा करना था. अपने उद्घाटन भाषण में वैष्णव ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को "नई औद्योगिक क्रांति" करार दिया और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) के साथ AI को इंटीग्रेट करने पर जोर दिया.
आईटी मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, "आधार फेस ऑथेंटिकेशन" हर महीने 15 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन्स को हैंडल कर रहा है. फिलहाल यह ऐप एक छोटे ग्रुप के लिए रिलीज किया गया है, लेकिन यूजर्स और इकोसिस्टम पार्टनर्स से फीडबैक लेने के बाद इसे सभी के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
यूजर्स की प्रतिक्रिया और सवाल
ऐप की घोषणा के बाद X पर कई यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. कुछ ने इसे डिजिटल इंडिया की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया, तो कुछ ने इसके इम्प्लीमेंटेशन को लेकर सवाल उठाए. एक यूजर रवि कारकरा ने पूछा, "NRI लोग आधार कार्ड कैसे प्राप्त करेंगे?" वहीं, एक अन्य यूजर जेठालाल फैन ने शिकायत की कि उनका आधार कार्ड पिछले तीन महीनों से अपडेट नहीं हो पा रहा है, और UIDAI से कोई मदद नहीं मिली.
इसके अलावा, कुछ यूजर्स ने ऐप की टेक्नोलॉजी को लेकर सवाल उठाए. इंडिजेन भारत नाम के एक अकाउंट ने पूछा, "यह ऐप मेड इन चाइना है या असेंबल्ड इन चाइना?" वहीं, सुनील दासारी ने सुझाव दिया कि सरकार को स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना चाहिए और भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम और टेक स्टैक को डेवलप करने पर जोर देना चाहिए, ताकि भारत विदेशी कंपनियों पर निर्भर न रहे.
डिजिटल इंडिया का हिस्सा
यह नया आधार ऐप डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का एक अहम हिस्सा है, जिसे 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था. डिजिटल इंडिया का मकसद सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से नागरिकों तक पहुंचाना, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना है. इस प्रोग्राम के तहत पहले भी कई पहल की जा चुकी हैं, जैसे भारतनेट, डिजिलॉकर, और UMANG ऐप, जो सरकारी सेवाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का काम करते हैं.
आगे क्या होगा?
नया आधार ऐप न सिर्फ आधार वेरिफिकेशन को आसान बनाएगा, बल्कि प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी को लेकर लोगों की चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश करेगा. हालांकि, इसके सफल इम्प्लीमेंटेशन के लिए सरकार को यूजर्स की शिकायतों और सुझावों पर ध्यान देना होगा. साथ ही, NRIs और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करना भी एक चुनौती होगी.
यह कदम भारत को एक स्मार्ट, सिक्योर और पेपरलेस देश बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. लेकिन इसके लिए तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने के साथ-साथ लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत होगी.
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