निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों का स्थायी, पारदर्शी, वैज्ञानिक और वैधानिक समाधान करने के लिए बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है. अब बैंक अकाउंट और पैन कार्ड की तरह मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को भी आधार नंबर से जोड़ने की योजना पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के सामने 2023 में आयोग ने कहा था कि मतदाता सूची में नाम शामिल करने के आवेदन में आधार अनिवार्य नहीं है.
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UIDAI के सीईओ होगी चर्चा
चुनावों में अधिक पारदर्शिता, एक वोटर को सिर्फ एक एपिक यानी मतदाता पहचान पत्र सुनिश्चित करने की गरज से की जा रही इस गंभीर पहल के तहत मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव, विधि सचिव और आधार योजना यानी UIDAI के सीईओ के साथ अहम चर्चा करेंगे. आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इसका उद्देश्य एक ही वोटर के कई शहरों या बूथों की मतदाता सूची में नाम और अलग अलग मतदाता पहचान पत्र होने या फर्जी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने में वैज्ञानिक और वैधानिक आसानी हो जाएगी.
गलत सीरीज का उठ चुका है मुद्दा
इस पहल के तहत मंगलवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधि सचिव राजीव मणि और UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार के साथ बैठक करेंगे. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (SCP) ने महाराष्ट्र और बीजेडी ने ओडिशा में एक ही EPIC नंबर वाले मतदाताओं का मुद्दा मीडिया और आयोग के सामने उठाया है.
इस पर निर्वाचन आयोग ने भी माना है कि कुछ राज्यों में गलत अल्फान्यूमेरिक सीरीज के कारण एक ही नंबर दोबारा जारी कर दिए गए थे. लेकिन, सिर्फ इस आधार पर उन मतदाताओं को फर्जी नहीं कहा जा सकता. अब उस समस्या की सर्जरी करने को आयोग कदम बढ़ा रहा है.
800 जिलों में होगी बैठकें
आयोग में अधिक पारदर्शिता लाने और एक मतदाता को सिर्फ एक EPIC देने की दिशा में कदम उठाने के लिए निर्वाचन आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) को निर्देश दिया है कि वे राजनीतिक दलों के साथ व्यापक स्तर पर बैठक करें. इसके तहत देशभर के लगभग 800 जिलों में 5000 से अधिक बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिनकी रिपोर्ट 31 मार्च तक आयोग को सौंपनी होगी.
आयोग ने देश भर के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को राजनीतिक पार्टियों के साथ बैठक करने को भी कहा गया है. इसके तहत करीब 800 जिलों में 5000 से ज्यादा बैठक राजनीतिक दलों के साथ आयोजित होंगी. जिसकी रिपोर्ट 31 मार्च तक आयोग को सौंपने की योजना है.
आधार-वोटर लिंक करने के सवाल से EC कर चुका है इनकार
हालांकि निर्वाचन आयोग (EC) ने 2023 में एक PIL पर नोटिस के जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मतदाता सूची से जुड़ने के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं है. लेकिन वह इसे प्रतिबिंबित करने के लिए नामांकन फॉर्म में “उचित स्पष्टीकरणात्मक परिवर्तन” जारी करने पर विचार कर रहा है. तब आयोग का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुकुमार पट्टजोशी और अमित शर्मा ने तत्कालीन CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ को बताया कि मतदाता पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के नियम 26-बी के तहत आधार संख्या प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है. लेकिन, अब समय और परिस्थिति के मुताबिक आयोग समुचित उपायों पर विभिन्न आयामों और हितधारकों के साथ चर्चा कर रहा है.
इनपुट: संजय शर्मा
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