आयोध्या में एक दूल्हा-दुल्हन की डेथ मिस्ट्री में पुलिस बुरी तरह उलझ गई है. एक तरफ दूल्हा-दुल्हन सुहागरात मनाने जाते हैं और दूसरी तरफ परिवार उनके दांपत्य जीवन की खुशी में रिसेप्शन पार्टी की तैयारी करने लग जाता है. भला किसे पता था सुबह दरवाजा खुलने के बाद जहा दूल्हा-दुल्हन फर्स्ट नाइट के बाद बाहर आना था वहां आई उनकी लाश. पूरे घर में कोहराम मच गया. रिश्तेदर-नातेदार सब सिहर गए.
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दूल्हा-दुल्हन की इस डेथ मिस्ट्री ने पुलिस को उलझा दिया है. पूछताछ में जहां सामने आया कि दूल्हा प्रदीप और दुल्हन शिवानी शादी के बाद बेहद खुश थे. फोन पर घंटों बातें करते थे. शादी में उन्होंने डांस भी किया. एक दूसरे को वरमाला पहनाई और खुशी-खुशी एक दूजे के हो गए. विदाई के बाद दुल्हन घर आई. सुहागरात में दूल्हा प्रदीप रात 12 बजे के करीब अपनी दुल्हन शिवानी के पास गया. कमरे में 3 घंटों के बीच ऐसा क्या हुआ कि 3 बजे तड़के तक दोनों दुनिया छोड़ चुके थे.
मोबाइल के मैसेज पर टिकी जांच
पुलिस की जांच उस मोबाइल के मैसेज पर टिक गई जिसे सुहागरात के वक्त के लिए चुना गया था. ये किसने किया था? मैसेज में आखिर क्या था? जिसने भी मैसेज किया उसे शिवानी के पति प्रदीप का नंबर कैसे मिला. उसने सुहागरात का वक्त ही इस मैसेज के लिए क्यों चुना. मैसेज में ऐसा कुछ था जिसे देखकर प्रदीप ने आपा खो दिया? क्या प्रदीप ने पत्नी का गला दबाकर खुद फंदे से लटक गया?
क्या ये सोची-समझी साजिश थी?
पुलिस इस थ्यौरी पर भी काम कर रही है कि प्रदीप ने ही यदि पत्नी शिवानी की हत्या की है तो वो भागने की जगह सुसाइड करना क्यों चुना? क्या ये सोची-समझी साजिश थी या उस रात ही ही अचानक सब हुआ? परिवार वालों को उस मैसेज की जानकारी क्यों नहीं दी? मैसेज करने वाला आखिर क्या चाह रहा था?
सूत्रों की मानें तो पुलिस के हाथ सबसे अहम सुराग के रूप में वो मैसेज लगा है. सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने मृतक प्रदीप के मोबाइल का सीडीआर प्राप्त कर लिया है. इधर अयोध्या कैंट के प्रभारी पंकज सिंह का कहना है कि मामले की जांच चल रही है. साक्ष्य इकट्ठा किया जा रहा है. जल्द ही मामले का खुलासा किया जाएगा.
क्या है ये पूरा मामला
मामला सहादतगंज स्थित मुरावन गांव के प्रदीप कुमार की शादी 7 मार्च को खंडासा की शिवानी से हुई. 8 को विदाई के बाद प्रदीप अपनी दुल्हनिया लेकर घर आया. 8 मार्च की रात दूल्हा-दुल्हन सुहागरात मनाने कमरे में गए. इससे पहले घर में सभी खुश थे. हंसी-मजाक का दौर चला. सुबह 6 बजे दरवाजा खटखटाया गया. नहीं खुलने पर परिजन ये समझे कि दोनों सोए होंगे उठ जाएंगे. 7 बजे फिर दरवाजा खुलवाया गया. दरवाजा नहीं खुलने पर खिड़की से झांककर देखा गया तो पंखे से प्रदीप लटक रहा था. दरवाजा तोड़ा गया तो बेड पर शिवानी का शव पड़ा था. फिर पुलिस को सूचित किया गया.
इनपुट: मयंक शुक्ला
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