राहुल गांधी पर कोर्ट ने क्यों लगाया 200 रुपये का जुर्माना? जानें पूरा मामला

Fine on Rahul Gandhi: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर लखनऊ की एसीजेएम-27 कोर्ट ने 200 रुपये का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना उनकी कोर्ट में व्यक्तिगत हाजिरी माफ करने के एवज में लगाया गया है.

Rahul Gandhi

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ललित यादव

06 Mar 2025 (अपडेटेड: 06 Mar 2025, 03:44 PM)

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Fine on Rahul Gandhi:कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर लखनऊ की एसीजेएम-27 कोर्ट ने 200 रुपये का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना उनकी कोर्ट में व्यक्तिगत हाजिरी माफ करने के एवज में लगाया गया है. कोर्ट ने यह राशि शिकायतकर्ता वकील नृपेंद्र पांडे को देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही, राहुल गांधी को 14 अप्रैल 2025 को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का अंतिम मौका दिया गया है. कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस तारीख पर उपस्थित न होने पर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

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जुर्माने की वजह क्या है?

राहुल गांधी पर यह जुर्माना कोर्ट में बार-बार व्यक्तिगत रूप से पेश न होने के कारण लगाया गया है. बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम आलोक वर्मा ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील ने दलील दी कि वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और 5 मार्च को एक विदेशी डेलिगेशन से उनकी मुलाकात तय है. इस वजह से वह कोर्ट में हाजिर नहीं हो सकते. वकील ने उनकी हाजिरी माफी की अर्जी दायर की थी. हालांकि, वादी वकील नृपेंद्र पांडे ने इस अर्जी पर आपत्ति जताई. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 200 रुपये का जुर्माना लगाकर उनकी हाजिरी माफ की, लेकिन अगली सुनवाई में पेश होने का सख्त निर्देश दिया.

राहुल गांधी ने वीर सावरकर पर की थी टिप्पणी

यह पूरा मामला राहुल गांधी के एक कथित बयान से जुड़ा है. शिकायतकर्ता नृपेंद्र पांडे ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने 17 नवंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के खिलाफ अपमानजनक और विवादित टिप्पणी की थी. पांडे का दावा है कि राहुल गांधी ने सावरकर को 'अंग्रेजों का पेंशनर और नौकर' कहकर उनका अपमान किया और समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश की. इसी आधार पर उनके खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज की गई थी.

कोर्ट ने राहुल गांधी को साफ शब्दों में कहा है कि 14 अप्रैल 2025 को उनकी व्यक्तिगत पेशी अनिवार्य है. अगर वह इस तारीख पर भी हाजिर नहीं होते, तो उनके खिलाफ कठोर कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं. यह मामला अब राजनीतिक और कानूनी दोनों दृष्टिकोण से चर्चा का विषय बन गया है.
 

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