नीतीश कुमार के समर्थन में उतरी कांग्रेस पार्टी, शकील अहमद खान ने कहा मुस्लिम संगठनों को इफ्तार का नहीं करना था विरोध

इन्द्र मोहन

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बिहार में इफ्तार पॉलिटिक्स लगातार जारी है. सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार से मुस्लिम संगठनों ने भले ही बायकॉट कर दिया हो लेकिन मुस्लिमों की अच्छी खासी भीड़ इफ्तार के दौरान दिखी. आरजेडी जहां मुस्लिम संगठनों के इफ्तार के विरोध को सही बता रही है, तो वहीं बिहार विधानसभा में कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने इसे गलत बताया है. बिहार तक से बातचीत में आरजेडी के स्टैंड से इतर शकील अहमद खान ने अपनी बात रखी. शकील अहमद खान ने कहा कि जेडीयू पार्टी का वक्फ बोर्ड के मामले में जिस तरह का स्टैंड रहा है उससे सवाल तो उठते हैं लेकिन एक बड़ी बात है कि वक्फ बिल पर समर्थन अलग मुद्दा है जबकि इफ्तार में मुस्लिम संगठनों का जाना अलग मुद्दा है. ऐसे में मुस्लिम संगठनों का विरोध नहीं करना चाहिए.

आरजेडी ने नीतीश कुमार को इफ्तार पर घेरा

बिहार में मुस्लिमों को साधने की सियासत इफ्तार के बहाने जारी है. जिसमें सभी पार्टियां एक एक करके इफ्तार के भरोसे मुस्लिमों का विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है. मुस्लिम संगठनों के नीतीश कुमार के इफ्तार का बायकॉट करने पर आरजेडी ने भी निशाना साधा है. आरजेडी के विधायक इजरायल मंसूरी ने कहा है कि जिस तरह से वक्फ बिल को लेकर नीतीश कुमार और जेडीयू का रूख रहा है उससे तो मुस्लिम संगठनों का विरोध तो बनता है. वहीं AIMIM के विधायक अख्तरुल ईमान ने भी कहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी का वक्फ बिल पर स्टैंड से मुस्लिम संगठन नाराज हैं उन संगठनों ने जो फैसला लिया है वो ठीक ही होगा.

नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी से जेडीयू गदगद

वहीं इफ्तार पार्टी में मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद मुस्लिमों की जुटी भीड़ से जेडीयू गदगद है. जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार की मानें तो मुस्लिम संगठनों का विरोध पूरी तरह से फेल रहा है. मुस्लिमों को पता है कि 20 सालों से नीतीश कुमार ने कैसे मुस्लिम समाज के लिए काम किया है. इतना ही नहीं लालू राज में मुस्लिम समाज के साथ कितना काम हो रहा था और हमारी सरकार में कैसे काम हो रहा है ये किसी से छिपा नहीं है.

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इफ्तार की सियासत से बदली है सत्ता

बिहार की राजनीति में इफ्तार की सियासत पुरानी रही है. इसी इफ्तार पार्टी के बाद बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी जिसमें नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चले गए थे. लेकिन अब जहां आरजेडी की नजर मुस्लिम वोटों को साधने की है तो वहीं जेडीयू भी इफ्तार के जरिए मुस्लिमों को अपने पाले में करना चाहती है.

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