सैलरी वाले कर्मचारियों को 1 अप्रैल से बड़ी खुशखबरी, 12 लाख तक की कमाई पर होगा 80,000 का फायदा
New Tax Regime: 1 अप्रैल से होने वाले तमाम बदलावों में इनकम टैक्स में भी बदलाव होने जा रहा है. 1 फरवरी को केंद्रीय बजट में लागू हुए नया टैक्स स्लैब 1 अप्रैल से लगू होगा.
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मार्च 31 को ये वित्तीय वर्ष खत्म क्लोज हो रहा है. अब 1 अप्रैल से कई चीजें बदलने वाली हैं. 1 अप्रैल से TDS के अलावा इनकम टैक्स में भी बड़ा बदलाव होने जा रहा है. 1 फरवरी को पेश हुए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख 75 हजार तक की सैलरी को इनकम टैक्स से मुक्त कर दिया है. इससे ऊपर की तनख्वाह पर इनकम टैक्स के स्लैब प्रभावी होंगे. इससे पहले न्यू टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स स्लैब की बात करें तो 12 लाख सालाना की आय पर 80 हजार रुपए टैक्स देने पड़ते थे.
इससे पहले 3 लाख रुपए तक की कमाई पर टैक्स 0 था. 3 लाख 1 रुपए से लेकर 7 लाख रुपए तक की कमाई पर इनकम टैक्स 5 फीसदी, 7 लाख 1 रुपए से 10 लाख रुपए की कमाई पर इनकम टैक्स 10 फीसदी और 10 लाख 1 रुपए से 12 लाख रुपए तक की कमाई पर इनकम टैक्स 15 फीसदी देना होता था. 1 फरवरी को केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान हो गया जिसने मध्य वर्ग को बड़ी राहत दी है. इनकम टैक्स से जुड़ा ये नियम 1 अप्रैल से प्रभावी होगा. बाय डिफॉल्ट सभी का इनकम टैक्स न्यू रिजीम में होगा. यदि कोई इसे ओल्ड रिजीम में करना चाहे तो उसे चुनाव करना पड़ेगा.
पर्सनल फाइनेंस (Personal Finance) की इस सीरीज में हम आपको 1 अप्रैल से लागू हो रहे नए इनकम टैक्स और इसकी फुल कैलकुलेशन बताने जा रहे हैं. अब 12 लाख 75 हजार रुपए तक की कमाई करने वालों को दफ्तर से बिना इनकम टैक्स कटे हुए सैलरी मिलेगी. अब उन्हें ओल्ड टैक्स रिजीम में जाकर इनकम टैक्स बचाने की तमाम कवायदें नहीं करनी होंगी. वे निवेश अपनी स्वेच्छा और जरूरत के हिसाब से कर सकेंगे.
ओल्ड टैक्स रिजीम में ये हैं टैक्स स्लैब
ओल्ड टैक्स रिजीम में ढाई लाख तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगता है. ढाई से तीन लाख पर 5 फीसदी, 3 से 5 पर 5 फीसदी, 5 से 10 पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा पर 30 फीसदी टैक्स देना होता है.
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ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स बचाने के आसान तरीके
- ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आयकर छूट पाने के लिए कई प्रावधान मौजूद हैं, जिनका सही उपयोग करके करदाताओं को बड़ी राहत मिल सकती है.
- धारा 80C – ₹1.5 लाख तक के निवेश पर टैक्स छूट (PPF, EPF, LIC, ELSS आदि).
- एचआरए (House Rent Allowance) – मकान किराए पर टैक्स छूट.
- धारा 80D – हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट.
- धारा 80CCD(1B) – राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS) में अतिरिक्त ₹50,000 तक की छूट.
- धारा 24(b) – होम लोन के ब्याज पर ₹2 लाख तक की टैक्स छूट.
- धारा 80E – एजुकेशन लोन के ब्याज पर पूरी अवधि के लिए टैक्स छूट.
- धारा 87A – ₹5 लाख तक की इनकम पर ₹12,500 तक की टैक्स छूट.
- स्टैंडर्ड डिडक्शन – वेतनभोगियों को ₹50,000 की अतिरिक्त टैक्स छूट.
न्यू टैक्स रिजीम के नए टैक्स स्लैब में अब ये फायदे
इसमें 1 फरवरी 2025 को बजट पेश होने से पहले तक 7 लाख 75 हजार रुपए तक की सैलरी पर टैक्स नहीं देना होता था. यहां 7 लाख रुपए तक की सैलरी पर धारा 87A के तहत 25,000 रुपए का टैक्स रिबेट और सैलरीड पर्सन के लिए 75,000 रुपए तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है. 1 फरवरी को पेश बजट के बाद 12 लाख तक की आय को कर मुक्त कर दिया गया है. वहीं सैलरीड पर्सन को इसमें स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन के साथ इस सीमा को 12 लाख 75 हजार रुपए तक किया गया है. इसके ऊपर की सैलरी पर टैक्स के लिए टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया गया है.
ये है कैलकुलेशन

ओल्ड वर्सेज न्यू टैक्स रिजीम स्लैब
पुरानी कर व्यवस्था (old tax regime) | नई कर व्यवस्था (new tax regime) |
स्लैब | टैक्स | स्लैब (1 फरवरी 2025 से पहले) | टैक्स | स्लैब नया (1 फरवरी 2025 से) | टैक्स |
ढाई लाख तक | 0 | 3 लाख रुपए तक | 0 | 4 लाख रुपए तक | 0 |
ढाई लाख 1 रुपए से 3 लाख | 5% | 3 लाख 1 रुपए से 7 लाख | 5% | 4 लाख 1 रुपए 8 लाख | 5% |
3 लाख 1 से 5 लाख रुपए | 5% | 7 लाख 1 रुपए से 10 लाख | 10% | 8 लाख 1से 12 लाख | 10% |
7 लाख 1 रुपए से 10 लाख | 20% | 10 लाख 1 रुपए से 12 लाख | 15% | 12 लाख 1 से 16 लाख | 15% |
10 लाख रुपए से ज्यादा | 30% | 12 लाख 1 रुपए से 15 लाख | 20% | 16 लाख 1 से 20 लाख | 20% |
----- | --- | 15 लाख रुपए से ज्यादा | 30% | 20 लाख 1 से 24 लाख | 25: |
----- | --- | ----- | ----- | 24 लाख 1 से ज्यादा | 30% |
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