Personal Finance: तेजी से क्यों गिर रहा शेयर बाजार, कब आएगा इसमें उछाल? ऐसे वक्त में क्या करें?

बृजेश उपाध्याय

ADVERTISEMENT

NewsTak
तस्वीर: न्यूज तक.
social share
google news

शेयर बाजार में इस साल निवेशकों को 45 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हो चुका है. साल की शुरुआत के महज दो महीनों में ही यह गिरावट दर्ज की गई है. शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है. निवेशक घबराए हुए हैं. अचानक ये सब क्यों हो रहा है? कब थमेगी ये गिरावट? क्या होगा शेयर बाजार का भविष्य? क्या पैसे निवेश करना बंद कर दें? ऐसे कई सवाल निवेशकों के मन में हैं. हम आपको TAK चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के साप्ताहिक कार्यक्रम 'हिसाब-किताब' से इस पूरे विषय को समझाने जा रहे हैं.  

माना जा रहा है कि शेयर बाजार में गिरावट का मुख्य कारण अर्थव्यवस्था और कंपनियों के कमजोर फंडामेंटल माने जा रहे हैं. कंपनियों की आमदनी में बढ़ोत्तरी न होने और लोगों की वास्तविक आय में सुधार न होने के कारण बाजार पर दबाव बढ़ता जा रहा है. भारत के आर्थिक विभाजन की हकीकत इंडस वैली रिपोर्ट बता रही है.  इसके अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था तीन भागों में बंट गई है. 

  1. इंडिया वन (India One): इसमें 14 करोड़ लोग आते हैं, जिनकी सालाना आय 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) के आसपास है. ये लोग देश की कुल खपत का 66% भाग करते हैं.
  2. इंडिया टू (India Two): इसमें 30 करोड़ लोग शामिल हैं, जिनकी सालाना आय 3,000 डॉलर (करीब 2.6 लाख रुपये) है. ये देश की 33% खपत के लिए जिम्मेदार हैं.
  3. इंडिया थ्री (India Three): यह सबसे बड़ा वर्ग है, जिसमें 100 करोड़ लोग शामिल हैं. इनकी सालाना आय मात्र 1,000 डॉलर (करीब 90,000 रुपये) है. इन लोगों के पास आवश्यक खर्चों के बाद कुछ भी बचता नहीं है, जिससे देश में उपभोग (Consumption) कमजोर हो रहा है. 

कम उपभोग और अर्थव्यवस्था पर असर

जब लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं होते, तो बाजार में मांग घटती है. इसका सीधा असर कंपनियों की आमदनी पर पड़ता है, जिससे वे विस्तार करने और निवेश करने से बचती हैं. 

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

  • एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों की बिक्री में गिरावट: पिछले कुछ महीनों में देखा गया है कि बड़ी कंपनियों की बिक्री में गिरावट आई है. इसका मुख्य कारण है कि लोग गैर-आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करने से बच रहे हैं.
  • वाहन उद्योग में मंदी: साल 2019 में 2.1 करोड़ दोपहिया वाहन बिके थे, जबकि 2024 में यह संख्या घटकर 1.8 करोड़ हो गई है. यह संकेत है कि मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति कमजोर हो रही है.
  • हवाई यात्रा की सीमित वृद्धि: 2019 में देश में 14 करोड़ घरेलू यात्री थे, जो 2024 में बढ़कर मात्र 15 करोड़ हुए हैं. इससे पता चलता है कि अमीर वर्ग भी अपनी गैर-जरूरी खर्चों में कटौती कर रहा है.

शेयर बाजार क्यों गिर रहा है?

शेयर बाजार मुख्य रूप से कंपनियों के प्रदर्शन और अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर निर्भर करता है. जब कंपनियों की आय स्थिर रहती है या घटती है, तो निवेशकों का विश्वास डगमगा जाता है. कमजोर मांग के कारण कंपनियों की बिक्री घट रही है. नए निवेश कम हो रहे हैं, जिससे रोजगार की संभावनाएं भी प्रभावित होती हैं. ब्याज दरें ऊंची रहने से कारोबारियों के लिए कर्ज लेना महंगा हो गया है. 

कैसे सुधरेगा शेयर बाजार?

निचले वर्ग की आय बढ़ाने के लिए नीतिगत बदलाव: सरकार को ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जो 100 करोड़ गरीब भारतीयों की आमदनी बढ़ाने में मदद करें. इसके लिए स्किल डेवलपमेंट, ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा और लघु उद्यमों के लिए आसान कर्ज योजनाएं लागू करनी होंगी.

ADVERTISEMENT

  • टैक्स में छूट: मध्यम वर्ग और उच्च आय वर्ग को ज्यादा टैक्स छूट देने से उनके हाथ में अधिक पैसा आएगा, जिससे वे खर्च बढ़ाएंगे.
  • ब्याज दरों में कटौती: भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज दरें कम करनी चाहिए ताकि लोगों और कारोबारियों को सस्ते कर्ज मिल सकें.
  • सरकारी खर्च बढ़ाना: आधारभूत संरचना और ग्रामीण विकास में अधिक निवेश करके सरकार रोजगार बढ़ा सकती है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति मजबूत होगी.

कुल मिलाकर भारत में शेयर बाजार की गिरावट का मुख्य कारण उपभोक्ता मांग की कमजोरी और आर्थिक असमानता है. जब तक 'इंडिया थ्री' की आमदनी नहीं बढ़ती और 'इंडिया टू' का विस्तार नहीं होता, तब तक अर्थव्यवस्था स्थिर नहीं होगी. सरकार और रिजर्व बैंक को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे जो न केवल शेयर बाजार बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करें. 

धड़ाधड़ बंद हो रहे SIP अकाउंट्स

शेयर बाजार गिरने से निवेशक घबराए हुए हैं. देखा जाए तो SIP खातों में कमी आने लगी है. AMFI का डेटा के मुताबिक जनवरी में  61 लाख 33 हजार लोगों ने एसआईपी खाते बंद करा लिए. वहीं 56 लाख 19 हजार लोगों ने SIP खाते खोले भी हैं. हालांकि खाते खोलने वालों की संख्या बंद करने वालों के मुकाबले ज्यादा है . यानी जनवरी महीने में करीब 5 लाख 14 हजार SIP खाते कम हो चुके हैं. 

ADVERTISEMENT

हालांकि SIP इनफ्लो बढ़ा

SIP खातों में कमी भले ही आई है, लेकिन SIP इनफ्लो में बढ़ रहा है. एंफी के डेटा के मुताबिक  जनवरी में SIP के जरिए म्युचुअल फंड्स के पास 26 हजार 400 करोड़ रुपए के निवेश आए थे. वहीं दिसंबर 2024 में 26 हजार 459 करोड़ रुपये , नवंबर में 25 हजार 320 करोड़, अक्टबर में 25 हजार 323 करोड़ और सितंबर में 24 हजार 509 करोड़ रुपए का SIP इनफ्लो था. 

तो अब करना क्या चाहिए?

अब सवाल ये है कि तेजी से गिरते बाजार और उड़ रहे पैसे, नुकसान में जा रहे लोगों को अपना एसआईपी बंद कर देना चाहिए. बाजार विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे हालात में SIP रोकना गलत फैसला हो सकता है. जिन निवेशकों ने लंबी अवधि के लिए SIP की है उनको निवेश जारी रखना चाहिए. 

ऐसे हालात में निवेश के पीछे क्या है तर्क?

चूंकि जब बाजार टूटता है तो SIP निवेशकों के खाते में ज्यादा यूनिट अलॉट होती है, क्योंकि गिरावट में म्यूचुअल फंड्स के NAV यानी (Net Asset Value) में कमी आ जाती है. ऐसे में जब बाजार में तेजी आएगी तो जो NVA सस्ते में मिले हैं उनकी यूनिट बढ़ जाएगी जिससे उतनी ही वैल्यू भी बढ़ेगी. ऐसे में जिस तेजी से पैसे जा रहे हैं उसी तेजी से या उससे ज्यादा मात्रा में रिटर्न भी हो सकते हैं.  

अब स्मॉल, मिड और लार्ज कैप का क्या चक्कर है?

पिछले दिनों  ICICI Prudential Mutual Fund के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) एस नरेन के एक बयान ने निवेशकों को बेचैन कर दिया था. एस नरेन ने कहा कि अगर आपने स्मॉल कैप या मिड कैप म्यूचुअल फंड में पिछले साल या हाल के दिनों में एसआईपी की है तो ये मान के चलिए कि आपका रिटर्न जीरो या नेगेटिव होने वाला है.  एस नरेन ने सलाह दी कि मिड कैप या स्मॉल कैप में लगे पैसे को निकालकर लार्ज कैप या हाइब्रिड फंड में लगाइए, तभी वो सुरक्षित रहेगा.

स्मॉल, मिड और लार्ज कैप का पूरा फंडा जानने के लिए यहां क्लिक करें 

यहां देखें हिसाब-किताब का पूरा वीडियो

यह भी पढ़ें: 

Personal Finance : शेयर बाजार में बनाने हैं खूब पैसे तो पहले जान लें ये Tips और Full डिटेल

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT