Personal Finance : SIP करने वालों का रिटर्न हो जाएगा जीरो ? अचानक निवेशकों की धड़कनें क्यों बढ़ गईं

बृजेश उपाध्याय

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तस्वीर: न्यूज तक.
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पिछले कुछ सालों से SIP एक लोकप्रिय निवेश के रूप में उभरकर सामने आया है. इसमें निवेशकों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं पिछले कई महीनों में बाजार में लगातार उथल-पुथल निवेशकों को आशंकित कर दिया है. इसी बीच  ICICI Prudential Mutual Fund के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) एस नरेन के एक बयान ने इनवेस्टर्स की धड़कनें बढ़ा दी है. 

अभी तक एसआईपी यानी सिमेटिक  इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) को लेकर एक धारणा बन गई है कि इसके जरिए  म्यूचुअल फंड में हर महीने एक निश्चित रकम डालकर सबकुछ भूल जाइए. 15 साल बाद आप करोड़पति बन जाएंगे या 20 सालों बाद पैसा ही पैसा होगा. इस धारणा पर आशंका के बादल तब मंडराने लगे जब पिछले दिनों से शेयर बाजार में गिरावट देखी जाने लगी. लोगों को कहीं न कहीं लगने लगा कि उनका रिटर्न जीरो तो नहीं हो जाएगा. कहीं उनका प्रिंसिपल अमाउंट निगेटिव तो नहीं हो जाएगा. 

एस नरेन के बयान से ये डर और बढ़ गया?  

अब सवाल से है कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर एस नरेन के बयान ने इस डर को और मजबूती दे दी है?  आखिर एस नरेन का इसके पीछे तर्क क्या है और निवेशकों को क्या करने की सलाह दे रहे हैं. क्या वे निवेशकों को एसआईपी में बने रहने की सलाह दे रहे हैं या इसे तोड़कर दूसरी जगह पैसे लगाने की बात कह रहे हैं. 

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पर्सनल फाइनेंस की इस सीरीज में हम आपको TAK चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के साप्ताहिक कार्यक्रम 'हिसाब-किताब' से इस पूरे विषय को समझाने जा रहे हैं.   

एस नरेन की कौन सी बात हो रही वायरल? 

एस नरेन की एसआईपी पर दिया गया एक इंटरव्यू वायरल हो रहा है. इसमें उनका कहना है कि, 'अगर आपने स्मॉल कैप या मिड कैप म्यूचुअल फंड में पिछले साल या हाल के दिनों में एसआईपी की है तो मान के चलिए कि रिटर्न जीरो या नेगेटिव हो सकता है. जो पैसा आपका स्मॉल या मिड कैप में लगा हुआ है उसको निकाल कर लार्ज कैप या हाइब्रिड फंड में लगाइए, तभी वो सुरक्षित रहेगा.' अब लोगों के मन में ये सवाल है- तो क्या SIP बंद कर दें?

पहले समझिए SIP का ट्रेंड  

एसआईपी के लोकप्रिय होने की वजह पिछले 10 वर्षों में बंपर रिटर्न है. मान लीजिए अगर आपने 10 साल पहले हर महीने 10,000 रुपए किसी लार्ज कैप फंड मतलब जो बड़ी कंपनियों के शेयर जिस फंड ने खरीदे हैं उसमें लगाए हैं. ऐसे में करीब 12 फीसदी के आसपास का एवरेज रिटर्न मिला है. इसका मतलब यह हुआ कि आपने हर महीने 10,000 रुपए लगाए और 10 साल में कुल ₹12 लाख लगा चुके हैं.  10 बाद आपके निवेश की वैल्यू 23- 24 लाख हो गई. यानी सीधे दोगुनी हो गई है.

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अब यही रिटर्न स्मॉल कैप में निवेश के बाद देखते हैं. यदि 10 साल तक आपने मिड कैप यानी न छोटी न बड़ी बल्कि मिड कंपनियों के शेयर जिस फंड ने खरीदे हैं उनमें लगा दिए. 10 साल तक 12 लाख निवेश किया. 10 साल में ये रकम तीन गुने से ज्यादा हो गया. एक अनुमान के मुताबिक ये रकम 39 लाख रुपए तक पहुंच गया. यानी पिछले 10 सालों में स्मॉल और मिड कैप ने ज्यादा रिटर्न दिया है. अब बात स्मॉल कैप की कर लें तो निप्पॉन जैसे फंड ने तो 12 लाख निवेश पर 10 साल 52 लाख तक का रिटर्न दिया है. इसलिए निवेशकों का झुकाव मिड और स्मॉल कैप की तरफ ज्यादा है. 

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अब सवाल ये है कि अचानक क्या हुआ कि एस नरेन मिड या स्मॉल कैप में रिटर्न जीरो या नेगेटिव होने की बात कर रहे हैं. पिछले सालों के ट्रेंड तो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. 

छोटी कंपनियों में ग्रोथ और रिस्क दोनों ज्यादा 

दरअसल छोटी कंपनियों के शेयर में ग्रोथ ज्यादा होती है तो उनमें रिस्क भी ज्यादा है. यानी रिस्क और रिवॉर्ड दोनों ज्यादा है. ऐसा कहते हैं कि पास्ट परफॉर्मेंस इज नो गारंटी ऑफ फ्यूचर परफॉर्मेंस. इसका मतलब कि पिछले 10 सालों में एसआईपी के मिड और स्मॉल कैप के रिटर्न के अनुभवों के आधार पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता? आखिर एस नरेन का इशारा किस और क्यों है? आइए समझते हैं. 

प्राइस टू अर्निंग का अनुपात बढ़ गया है 

एस नरेन  शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को बहुत अच्छे से समझते हैं. उनका कहना है कि SIP का पहले जो फायदा हुआ है वो इसलिए कि शेयर बाजार में लगने वाले पैसे अंडर वैल्यूड एसेट थी. यानी आप म्युचुअल फंड में जो पैसे लगा रहे थे वे शेयर बाजार में लग रहे थे. तब उनकी वैल्यू काफी कम थी. 

अंडर वैल्यूड एसेट को ऐसे समझें 

स्मॉल कैप है या मिड कैप शेयर का प्राइस टू अर्निंग का दाम अब औसतन 43 पर आ गया है. यानी अगर कोई कंपनी इस साल 1 रुपए का फायदा कमा रही है तो आप उस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए 43 रुपए दे रहे हैं. नरेन का ये भी कहना कि यह सस्टेनेबल नहीं है.  आप एक रुपए के प्रॉफिट के लिए कंपनी के शेयर पर 43 रुपए खर्च कर रहे हैं. SIP के जरिए शेयर बाजार में पैसा तो बहुत आ रहा है पर शेयरों की कीमत इतनी ज्यादा है कि उनके आगे बढ़ने की संभावना बहुत कम हो गई है. 

फिर क्या करना चाहिए 

नरेन ने यह सलाह दी है कि स्मॉल कैप या मिड कैप में आपने पैसे बना लिए हैं तो उसे अब धीरे-धीरे निकाल कर लार्ज कैप में ले जाइए, जहां पर बड़ी कंपनियों के शेयर हैं. हाइब्रिड में ले जाइए. यहां पर डेट और इक्विटी के बीच में जहां रिटर्न मिलता है उसमें लगाइए. बाजार में उथल-पुथल थोड़ी ज्यादा हो सकती है. इसलिए सेफ होगा कि लार्ज कैप में जाइए या हाइब्रिड में जाइए या फ्लैक्सी फंड में जाइए. 

लार्ज कैप में फंड ले जाने की सलाह क्यों? 

परफॉर्मेंस भले ही एसआईपी का अच्छा रहा है, लेकिन पिछले महीनों में शेयर बाजार की जो रफ्तार है उससे साफ है कि काफी उथल-पुथल हो रही है. इस उथल-पुथल का नतीजा यह हुआ कि इस साल लार्ज कैप के शेयर भी गिरे हैं, लेकिन उनमें गिरावट मिड कैप या स्मॉल कैप के मुकाबले कम रही है. यही बात नरेन कह रहे हैं. 

SIP निवेशकों की घबराहट का असर शेयर बाजार पर पड़ेगा?  

औसतन 25,000 करोड़ रुपए हर महीने हिंदुस्तान के लोग एसआईपी से लगा रहे हैं. यह पैसा शेयर बाजार में जा रहा है. अब जो नरेन ने यह बात कही है कि जब लोगों का रिटर्न अगर वहां नेगेटिव हो रहा है या कम हो रहा है तो लोग एसआईपी बंद कर सकते हैं या स्विच कर सकते हैं तो यह अमाउंट भी अगर कम होता है तो इसका ओवरऑल असर भी पूरे शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है. अभी शेयर बाजार को कहीं न कहीं म्यूचुअल फंड ने ही थाम के रखा है. एफआईआई यानी विदेशी निवेशक जब बिकवाली कर रहे हैं तो खरीदने वाले देशी इंस्टिट्यूशन म्यूचुअल फंड ही हैं. वही खरीदकर कुछ हद तक बाजार को संभाल के रखते हैं. अब अगर एसआईपी निवेशकों मन के डर है कि रिटर्न कम होगा तो पैसा आना भी कम हो जाएगा. इसका असर कहीं ना कहीं आने वाले महीनों में शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है.

यहां देखें हिसाब-किताब का वो पूरा वीडियो

डिस्क्लेमर : निवेश से पहले सेबी के सर्टिफाइड एडवाइजर से सलाह लीजिए. ये जानकारी आपको एजुकेट करने के लिए दी गई है. हालांकि एस नरेन का भी इस फील्ड में 30- 35 वर्षों का अनुभव है. इन्होंने म्यूचुअल फंड इडस्ट्री में तमाम उतार-चढ़ाव को देखा है. ऐसे में इनकी बातों पर भी गौर करना चाहिए. 

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