India या Russia किससे Air Defence System खरीदेगा Taliban ?
Air Defence System
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न्यूज़ हाइलाइट्स

तालिबान की वित्तीय और तकनीकी बाधाओं को देखते हुए, रूसी प्रणालियों को प्राप्त करना और उनका संचालन करना असंभव लगता है।

भारत द्वारा हाल ही में विकसित बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORAD) तालिबान के सामने आने वाले ड्रोन खतरों के खिलाफ एक अधिक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है

VSHORADS एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है !
एक तरफ पाकिस्तान-अफगानिस्तान में तनाव है और आए दिन दोनों के बीच झड़प की खबरें सामने आ रहीं होती है.और दूसरी तरफ पाकिस्तान अपने देश में आतंकवाद के लिए सीधे तौर पर अफगानिस्तान को जिम्मेदार ठहरा रहा होता है.पाकिस्तान का अफगानिस्तान के नागरिकों पर सख्ती का मामला हो या फिर तोरखम सीमा पर मनमानी.यकीनन रोजाना की इन घटनाओं ने दोनों के रिश्ते को खराब कर दिया है और तालिबान की अतंरिम सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर बहुत ज्यादा दिलचस्पी दिखा नहीं रही है... इन्हीं घटनाओं के चलते दोस्ती का एक नया रास्ता खुलता दिख रहा है.. वो है भारत -अफगानिस्तान का.अफगानिस्तान के लिए भारत हमेशा खड़ा रहा है और जब भी मुसीबत में अफगानी पड़े भारत ने मानवीय मदद देने में कोई संकोच नहीं रखा.सत्ता परिवर्तण के बाद भी भारत ने पूरी तरह से रिश्तों को मरने नहीं दिया और अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी बनाए रखी.. उसी का नतीजा है कि तालिबान की सरकार भारत के अधिकारियों से मुलाकाते कर रहे है.हाल के महीनों में भारत के वरिष्ठ अधिकारी जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री शामिल है.. उनकी मुलाकात अफगानिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री आमीर खान मुक्ताकी से हुई.इस मुलाकात में भारत-ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर भी चर्चा हुई जिससें तालिबान जुड़ने में दिलचस्पी रखता है क्योंकि वो ट्रेड के लिए पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर अपनी निर्भरता को खत्म करना चाहता है. बहरहाल इस वीडियो में हम उससे आगे की बात करेंगे.दरअसल अफगानिस्तान अपनी हवाई सीमा की सुरक्षा की तरफ तेजी से काम करना चाहता है... अफगानिस्तान के पास कोई एयर डिफेंस जैसी सुविधाएं नहीं है जिसके कारण कभी ईरान तो कभी पाकिस्तान कथित आतंकी अडडो पर बम बरसा दे रहे है... ऐसे में कई मौको पर अफगानिस्तान को इसकी कमी महसूस हो चुकी है.और तो और कई मौको पर अफगानिस्तान के अतंरिम रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने अफगानिस्तान के हवाई स्पेस को दुश्मनों के कब्जे में होना बताया है...इस विषय पर एक लेख लिखते हुए सॉल्टमन इंस्टिट्यूट ऑफ वॉर एंड पीस में एसोसिएट रिसर्चर स्कॉलर सिबग्हतुल्लाह गजनवी लिखते हैं कि तालिबान के रक्षा मंत्रालय के रसद विभाग के प्रमुख ने रूस से वायु रक्षा प्रणाली खरीदने में रुचि व्यक्त की है। हालाँकि, तालिबान की वित्तीय और तकनीकी बाधाओं को देखते हुए, रूसी प्रणालियों को प्राप्त करना और उनका संचालन करना असंभव लगता है। इसके विपरीत, भारत द्वारा हाल ही में विकसित बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORAD) तालिबान के सामने आने वाले ड्रोन खतरों के खिलाफ एक अधिक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है। वो ऐसा इसलिए भी मानते हैं क्योंकि भारत के साथ जुड़ने पर अफगानिस्तान के कई और फायदे भी हैं.
तालिबान के लिए भारत के साथ संबंध कूटनीतिक और आर्थिक दोनों तरह के लाभ लेकर आते हैं। नई दिल्ली के साथ जुड़ने से अंतरराष्ट्रीय मंच पर क्षेत्रीय स्वीकार्यता मिलती है, जबकि घरेलू स्तर पर स्थिरता और सामान्य स्थिति भी बन सकती है .आर्थिक रूप से, तालिबान अफगानिस्तान के व्यापार मार्गों में विविधता लाने, पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने और इस्लामाबाद द्वारा तोरखम और चमन सीमा क्रॉसिंग को बार-बार बंद करने के प्रभाव को कम करने के लिए चाबहार को चालू करना चाहता है। क्षेत्रीय व्यापार में तालिबान की बढ़ती दिलचस्पी, विशेष रूप से चाबहार के माध्यम से, भारत की दीर्घकालिक आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के साथ मेल खाती है। इसके अतिरिक्त, तालिबान चाबहार के माध्यम से अफगान व्यापार की अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट की स्थिति को बनाए रखने के लिए कूटनीतिक पैंतरेबाजी के लिए भारत की ओर देख सकता है.
अब आपको बताते हैं कि क्यो कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली तालिबान की पसंद हो सकता है ?
VSHORADS एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे DRDO ने कई संस्थाओं के साथ मिलकर डिजाइन और डेवलप किया गया है. इस डिफेंस सिस्टम में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की तमाम ब्रांच की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है. यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 की तरह ही है. इससे दुश्मन के विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को भागने या बचने का मौका ही नहीं मिलेगा.इस बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की इस मिसाइल को दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर से संचालित किया जाता है.इसका उद्देश्य सीमित दूरी से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करना है.
इस हथियार की क्षमता 250 मीटर से 6 किलोमीटर तक है. VSHORADS का वजन 20.5 किलोग्राम, लंबाई करीब 6.7 फीट और व्यास 3.5 इंच है. यह अपने साथ 2 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है. अधिकतम 11,500 फीट तक जा सकता है. अधिकतम गति मैक 1.5 है, यानी 1800 किमी प्रतिघंटा.
यकीकन भारत के लिए तो ये हथियार काफी फायदेमंद है... लेकिन सवाल उठता है कि क्या इसे भी भारत-रूस के बनाए ब्रह्मोस की तरह सफलता मिल सकती है.और सबसे मूल प्रश्न तो ये है कि जिस देश की सरकार को भारत ने अभी तक मान्यता नहीं दी है तो क्यो उस देश को भारत हथियार देगा ?
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