भोपाल में हजारों की जान लेने वाले जहरीले कचरे से डरे इंदौरी विरोध में, इधर CM ने सब कुछ कर दिया साफ
Bhopal Union Carbide waste: 41 साल बाद भोपाल से पीथमपुर पहुंचा जहरीले कचरे को लेकर बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस इस फैसले का विरोध कर रही है. इसी बीच सीएम मोहन यादव ने बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस की है उन्होंने कहा है कि कचरे को जलाने से पहले पूरी रिसर्च की गई है.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

जीतू पटवारी ने उठाए सवाल, बोले- यशवंत सागर का पानी हो सकता है प्रभावित

जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के विरोध को इंदौर महापौर का मिला समर्थन

CM मोहन ने कहा- कचरे के निपटान को लेकर पूरी रिसर्च की गई है, लोग आश्वस्त रहें
Bhopal Union Carbide waste: भोपाल गैस त्रासदी के 41 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जमा 377 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के तहत इस कचरे को नष्ट करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से भोपाल से पीथमपुर स्थित रामकी फैक्ट्री में ले जाया गया. इस कदम ने प्रदेश में एक नई बहस छेड़ दी है और इंदौर के लोग विरोध में उतर गए हैं.
इंदौरियों के विरोध के समर्थन में इंदौर के महापौर पुष्यमित्र और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस पर सवाल लगाए हैं. इसे लेकर पर्यावरणीय चिंताएं भी जताई गई हैं. इस बीच सीएम मोहन यादव की सफाई भी सामने आई है और उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया है कि कचरे का निपटान पूरी तरह से सुरक्षित है और इसे करने से पहले काफी रिसर्च की गई है.
इंदौर महापौर ने समर्थन कर पुनर्विचार की मांग
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना पर पुनर्विचार की आवश्यकता जताई है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए शासन स्तर पर अधिकारियों से चर्चा करनी चाहिए. अदालत से इस विषय पर पुनर्विचार की अपील की जा सकती है. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पीथमपुर की जनता की चिंताओं और विचारों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है. महापौर ने इस मुद्दे को जनता की भलाई से जोड़ा और कहा कि पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
जीतू पटवारी का विरोध और सवाल
कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने इस मामले में सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि जनता और पर्यावरण के हित का है. पटवारी ने चेतावनी दी कि जहरीले कचरे को जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई तो इसका यशवंत सागर के पानी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. यशवंत सागर का पानी इंदौरवासियों की जल आवश्यकताओं को पूरा करता है, इसलिए इस मुद्दे पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को विशेषज्ञों की राय लेकर संभावित खतरों और पर्यावरणीय प्रभावों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए.
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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी और कहा कि कचरे को नष्ट करने से पहले पूरी रिसर्च की गई है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार इस कचरे को हटाया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह के रासायनिक कचरे का प्रभाव 25 साल में खत्म हो जाता है, जबकि यह कचरा 40 साल पुराना है. उन्होंने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस कचरे के निस्तारीकरण के लिए कई एजेंसियों के सर्वे के बाद यह निर्णय लिया गया है.
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि कचरे को जलाने से पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जमा रिपोर्ट के आधार पर यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है. साथ ही, केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने जनता और विपक्ष से अपील की कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें और सभी मिलकर इसका समाधान निकालें.
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इस पर राजनीति बंद होनी चाहिए: मोहन यादव
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस भोपाल में इस मुद्दे पर चुप रहती है लेकिन पीथमपुर में विरोध करती है. उन्होंने कहा कि राजनीति छोड़कर इस मुद्दे पर सभी को एकजुट होना चाहिए. वहीं, कांग्रेस ने इस मामले को जनता और पर्यावरण से जुड़ा बताते हुए सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
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पीथमपुर की जनता ने इस प्रक्रिया पर गहरी चिंता जताई है. लोगों का कहना है कि जहरीले कचरे को जलाने से आसपास के पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के खतरनाक कचरे को नष्ट करने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है.
सुनिए सीएम मोहन यादव ने क्या कहा...
कोर्ट का कैसा है रुख
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इस कचरे को हटाने और नष्ट करने के लिए निर्देश दिए थे. अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस प्रक्रिया में पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े. कचरे को जलाने से पहले ड्राई रन किया गया, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर कचरे को नष्ट करने की अनुमति दी गई.
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