संत सियाराम बाबा ने 110 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, CM मोहन यादव भी करेंगे अंतिम दर्शन!

शुभम गुप्ता

ADVERTISEMENT

NewsTak
social share
google news

Siyaram Baba: निमाड़ के प्रसिद्ध संत 'सियाराम बाबा' ने 110 वर्ष की आयु में 11 दिसंबर को सुबह 5:00 बजे अंतिम सांस ली. उनके निधन से भक्तों में गहरा शोक छा गया. खरगोन के भाटिया आश्रम में बाबा के अंतिम दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है. बाबा का अंतिम संस्कार आश्रम के पास शाम 4 बजे किया जाएगा. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी, और उन्हें निमोनिया भी हो गया था.  

बाबा की साधना और आध्यात्मिक जीवन 

सियाराम बाबा का जन्म गुजरात के भावनगर में हुआ था. मात्र 17 वर्ष की आयु में ही उन्होंने आध्यात्मिक जीवन की राह पकड़ ली. 1962 में वे खरगोन के कसरावद आए और भाटिया आश्रम में तपस्या शुरू की. कहा जाता है कि उन्होंने 10 वर्षों तक खड़े रहकर कठोर तपस्या की. बाबा ने अपनी तपस्या के बाद पहला शब्द "सियाराम" बोला, जिससे उनके भक्तों ने उन्हें "सियाराम बाबा" नाम दिया.  

बाबा की साधना की शक्ति इतनी थी कि वे बिना चश्मे के रामायण की चौपाइयां पढ़ते थे. चाहे सर्दी हो या गर्मी, बाबा हमेशा एक लंगोटी में रहते थे. उनकी सरल जीवन शैली और तपस्वी स्वभाव ने उन्हें भक्तों के बीच अमर बना दिया.  

ये भी पढ़ें- 110 साल के संत सियाराम बाबा के निधन की खबर से मचा हड़कंप, फिर सामने आई ये पूरी सच्चाई

नेताओं और भक्तों ने दी श्रद्धांजलि  

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बाबा के निधन पर शोक व्यक्त किया.सीएम मोहन यादव ने कहा: प्रभु श्री राम के समर्पित भक्त निर्माण की धर्म ध्वजा एवं आध्यात्मिक अनुभूति के प्रेरणा स्रोत संत श्री सियाराम बाबा जी के देवलोक गमन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. मोक्षदा एकादशी पर यह दिव्य आत्मा प्रभु की दिव्य ज्योति में विलीन हो गई.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा: "खरगोन के परम पूज्य संत श्री सियाराम बाबा अनंत यात्रा पर निकल पड़े हैं. उन्होंने अपनी साधना से असंख्य भक्तों के जीवन को आलोकित किया."  

बाबा का अंतिम संस्कार और शोक का माहौल

भाटिया आश्रम में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. आश्रम में शोक का माहौल है और प्रदेश भर के लोग बाबा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.  

ADVERTISEMENT

बाबा के निधन से न केवल निमाड़ क्षेत्र, बल्कि पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है. उनका जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा का प्रतीक था और उनकी साधना हमेशा याद रखी जाएगी.  

ADVERTISEMENT

रिपोर्ट-उमेश रेवाल

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT